वलसाड (गुजरात), 27 दिसंबर । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि महिलाओं ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब भी उन्हें समान अवसर दिए जाते हैं, वे पुरुषों के बराबर या उनसे भी बेहतर प्रदर्शन करती हैं। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण केवल सामाजिक आवश्यकता नहीं, बल्कि राष्ट्रीय विकास का अहम आधार है।
गुजरात के वलसाड जिले के धरमपुर में ‘श्रीमद राजचंद्र सर्वमंगल महिला उत्कृष्टता केंद्र’ का उद्घाटन करने के बाद सिंह ने कहा कि यह केंद्र महिलाओं को न केवल कौशल विकास और आजीविका के बेहतर अवसर देगा, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी सशक्त करेगा। यह केंद्र 11 एकड़ में फैला है और इसकी आधारशिला वर्ष 2022 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से रखी थी।
रक्षा मंत्री ने कहा कि जैन आध्यात्मिक गुरु श्रीमद् राजचंद्रजी ने अपने छोटे से जीवनकाल में जो विरासत छोड़ी, वह सदियों तक मानवता का मार्गदर्शन करती रहेगी। उन्होंने कहा कि यहां काम करने वाली महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होने के साथ-साथ आध्यात्मिक चिंतन के लिए भी समय और अवसर प्राप्त करेंगी।
राजनाथ सिंह ने ‘स्वरोजगार महिला संघ’ (सेवा) की संस्थापक इला भट्ट और ‘श्री महिला गृह उद्योग’ की संस्थापक जसवंतीबेन पोपट का उल्लेख करते हुए कहा कि महिलाओं को जब भी समान अवसर मिले हैं, उन्होंने नेतृत्व, उद्यमिता और सामाजिक परिवर्तन में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि यह उत्कृष्टता केंद्र पूरी तरह ग्रामीण महिलाओं द्वारा संचालित होगा, जिससे महिला उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा और महिला नेतृत्व वाले विकास का एक सशक्त उदाहरण सामने आएगा। सिंह के अनुसार, यह परिसर महिला सशक्तिकरण के आर्थिक और सामाजिक दोनों पहलुओं को मजबूती देगा। यहां तैयार उत्पादों के वैश्विक बाजार तक पहुंचने से प्रधानमंत्री की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को भी बल मिलेगा।
रक्षा मंत्री ने कहा कि लगभग 150 वर्ष पहले श्रीमद राजचंद्रजी द्वारा पुनः प्रतिपादित ‘मुक्ति मार्ग’ ने आधुनिक युग में आध्यात्मिकता की नई नींव रखी। उन्होंने बताया कि यह वही मार्ग है, जिसे करीब 2,500 वर्ष पहले भगवान महावीर ने दिखाया था। सिंह ने कहा कि समय के साथ श्रीमद राजचंद्रजी की प्रासंगिकता कम होने के बजाय और बढ़ी है।
उन्होंने इसे एक सुखद संयोग बताया कि इस वर्ष धरमपुर में श्रीमद राजचंद्रजी के आगमन के 125 वर्ष पूरे हो रहे हैं, जबकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भी अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर रहा है। उन्होंने कहा कि दोनों परंपराएं भारत की शाश्वत संस्कृति का प्रतीक हैं और आध्यात्मिकता, अनुशासन व परोपकार जैसे मूल्यों को आगे बढ़ाती हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने जैन परंपरा और विरासत के संरक्षण के लिए कई प्रयास किए हैं। उन्होंने बताया कि बीते वर्षों में विदेश से चोरी हुई 20 से अधिक तीर्थंकर प्रतिमाओं को भारत वापस लाया गया है और पिछले वर्ष ‘प्राकृत’ भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया।
उन्होंने जैन दर्शन के ‘अनेकांतवाद’ का उल्लेख करते हुए कहा कि यह सह-अस्तित्व और सद्भाव का मार्ग दिखाता है, जिसकी आज के समय में और भी अधिक आवश्यकता है।
