गोशालाओं में सभी व्यवस्थाएँ दुरुस्त रहें, अधिकारी नियमित निरीक्षण करें: पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह

लखनऊ, 03 दिसंबर 2025। उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने बुधवार को अपने विधान भवन स्थित कार्यालय कक्ष में प्रदेशभर के गोआश्रय स्थलों की व्यवस्थाओं की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि योगी सरकार निराश्रित गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, इसलिए किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

मंत्री ने विगत एक सप्ताह में जनपदीय नोडल अधिकारियों द्वारा किए गए निरीक्षणों की समीक्षा करते हुए कहा कि सभी अधिकारी नियमित रूप से गोशालाओं का भ्रमण करें और यह सुनिश्चित करें कि गोवंश के लिए हरा चारा, भूसा, साइलेज, तिरपाल, औषधियां, पेयजल और ठंड से बचाव की समुचित व्यवस्था बनी रहे। उन्होंने सभी गोआश्रय स्थलों पर प्रकाश/सोलर लाइट लगाने, सीसीटीवी कैमरे क्रियाशील रखने तथा बड़े संरक्षण केंद्रों में ड्रोन उपयोग की संभावनाओं पर कार्य करने के निर्देश दिए।

बैठक में विभिन्न जनपदों की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें कई जिलों में संतोषजनक प्रबंधन पाया गया, वहीं कुछ जगह गंभीर कमियां भी उजागर हुईं।

अयोध्या: सभी गोआश्रय स्थलों पर सीसीटीवी उपलब्ध, पराली संग्रहण जारी।

बाराबंकी: भूसा, पशु आहार और हरा चारा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध।

कासगंज: साइलेज उपलब्ध नहीं, अस्थायी गोशाला में अतिरिक्त शेड की जरूरत।

हापुड़: ग्राम पंचायत सचिवों के नियमित भ्रमण न करने से गोवंश को पर्याप्त चारा नहीं मिल सका और कुछ निराश्रित गोवंश खुले में घूमते मिले।

महराजगंज: गोशालाओं में सीसीटीवी संचालित नहीं मिले।

कानपुर देहात: मैथा ब्लॉक की गोशालाओं में हरा चारा नहीं खिलाया जा रहा था और अभिलेख अधूरे मिले।

प्रतापगढ़: पशु आहार का टेंडर नहीं हुआ, साफ-सफाई की स्थिति असंतोषजनक पाई गई।

मंत्री सिंह ने निर्देशित किया कि जहां भी कमियां पाई गई हैं, उन्हें तत्काल प्रभाव से दूर किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि ठंड के कारण किसी भी गोवंश की मृत्यु न हो। पशु चिकित्सकों को नियमित रूप से गोआश्रय स्थलों पर जाकर चिकित्सा व औषधि उपलब्ध कराने के लिए कहा गया।

उन्होंने कहा कि दुग्ध समितियां किसी भी दशा में बंद न होने दी जाएं। गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने और अवस्थापना कार्यों में गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया गया। मंत्री ने कहा कि गोसंरक्षण कार्यों में किसी भी प्रकार की उदासीनता स्वीकार्य नहीं होगी और लापरवाही की स्थिति में जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी।

प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने आश्वस्त किया कि सभी निर्देश समयबद्ध तरीके से लागू किए जाएंगे। बैठक में बताया गया कि प्रदेश में वर्तमान में 7560 गोआश्रय स्थल संचालित हैं, जहां 12,35,253 गोवंश संरक्षित हैं। मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत कुल 1,80,919 गोवंश सुपुर्द किए जा चुके हैं, जिनसे 1,14,628 लाभार्थियों को लाभ मिला है।

बैठक में पशुधन विभाग एवं दुग्ध विकास से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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