वोट चोरी के आरोपों के बीच 14 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण

नयी दिल्ली, 26 दिसंबर। विपक्षी कांग्रेस द्वारा उठाए गए ‘वोट चोरी’ के आरोपों के बीच निर्वाचन आयोग ने इस वर्ष 13 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू कर दिया है। इसके साथ ही आयोग ने असम में भी विशेष पुनरीक्षण कराने का आदेश दिया है। 2026 में शेष 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में भी इसी तरह की प्रक्रिया को लागू करने की योजना है।

निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के अनुसार, इस साल लगभग 60 करोड़ मतदाता इन 14 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में शामिल हैं। शेष 40 करोड़ मतदाताओं को अगले साल चरणबद्ध तरीके से शामिल किया जाएगा। मतदाताओं द्वारा साझा की गई जानकारी का डिजिटलीकरण भी किया जा रहा है, जिससे भविष्य में मतदाता सूची के शुद्धिकरण की प्रक्रिया और अधिक स्वचालित हो सके।

एसआईआर की इस प्रक्रिया के अलावा, इस वर्ष बिहार में विधानसभा चुनाव भी संपन्न हुए, जो दशकों में पहली बार बिना किसी बड़ी हिंसा के संपन्न हुए। 243 विधानसभा सीटों में से किसी भी मतदान केंद्र पर पुनर्मतदान की सिफारिश नहीं की गई। बिहार में मतदान केंद्रों का युक्तीकरण कर प्रति केंद्र मतदाताओं की संख्या 1,500 से घटाकर 1,200 कर दी गई, जिससे मतदान के दिन कतारें कम होंगी।

निर्वाचन आयोग ने मतदान प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। अब लोग मोबाइल फोन को मतदान केंद्र के बाहर डिपॉजिट बॉक्स में जमा कर सकते हैं। इसके अलावा इस साल कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के बीच वोट चोरी के आरोपों को लेकर बहस भी हुई। पहली बार मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने वरिष्ठ राजनीतिक नेता से ऐसे आरोपों के लिए माफी मांगने को कहा, जिन्हें साबित नहीं किया जा सका।

‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं ने एसआईआर की प्रक्रिया पर चिंता व्यक्त की कि इससे कई वास्तविक, योग्य मतदाता अपने मतदान अधिकार से वंचित हो सकते हैं। बिहार में एसआईआर के दौरान जमीनी स्तर पर अधिकारियों ने बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमा के कई नागरिकों का पता लगाया, लेकिन अंततः आयोग ने ऐसे लोगों की कोई संख्या या सबूत साझा नहीं किया, जो मतदाता सूची में शामिल होने के योग्य नहीं थे।

बिहार में किए गए अनुभवों से सीखते हुए, निर्वाचन आयोग ने 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए नियमों में संशोधन किया। मतदाताओं को आंशिक रूप से भरे हुए जनगणना प्रपत्र जमा करने के बाद दस्तावेज प्रस्तुत करने की सुविधा दी गई, ताकि सूची में नाम का मिलान न होने पर उनका नाम शामिल किया जा सके।

एसआईआर का प्राथमिक उद्देश्य जन्मस्थान की जांच कर अवैध विदेशी प्रवासियों को बाहर निकालना है। बांग्लादेश और म्यांमा सहित विभिन्न राज्यों में अवैध प्रवासियों पर की जा रही कार्रवाई को देखते हुए यह कदम और महत्वपूर्ण हो गया है। आयोग ने इस महीने की शुरुआत में तमिलनाडु, गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा उत्तर प्रदेश में एसआईआर की समयसीमा में संशोधन किया।

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