लखनऊ, 22 दिसंबर ।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को विधानसभा में कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि जब राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के शताब्दी महोत्सव का अवसर आया, तब कांग्रेस ने देश में आपातकाल थोपकर संविधान का गला दबाने का काम किया।
शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सदन में ‘वंदे मातरम’ पर चर्चा की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम का सम्मान केवल भावनात्मक अभिव्यक्ति नहीं है, बल्कि यह संविधानिक मूल्यों और राष्ट्रीय कर्तव्यों का बोध कराता है। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्र की आत्मा, उसके संघर्ष और संकल्प का प्रतीक है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब वंदे मातरम अपनी रजत जयंती मना रहा था, तब देश पर ब्रिटिश हुकूमत थी और दमन व अत्याचार चरम पर थे। ऐसे कठिन समय में इस गीत ने स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊर्जा दी। उन्होंने कहा कि 1896 में कांग्रेस के अधिवेशन में पहली बार रविंद्र नाथ टैगोर ने वंदे मातरम को स्वर दिया था और यह पूरे देश के लिए एक मंत्र बन गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा, “जिस कांग्रेस के मंच से पहली बार वंदे मातरम का गान हुआ था, उसी कांग्रेस ने 1975 में आपातकाल थोपकर संविधान और लोकतंत्र पर प्रहार किया।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व का उल्लेख करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना आज साकार हो रही है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर देश प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आत्मविश्वास के साथ विकसित भारत की ओर आगे बढ़ रहा है।
कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक मोहम्मद अली जिन्ना कांग्रेस में थे, तब तक वंदे मातरम कोई विवाद का विषय नहीं था। लेकिन कांग्रेस छोड़ने के बाद जिन्ना ने इसे मुस्लिम लीग का हथियार बना लिया और जानबूझकर इसे सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि गीत वही रहा, लेकिन एजेंडा बदल गया।
योगी ने ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए कहा कि 15 अक्टूबर 1937 को लखनऊ से जिन्ना ने वंदे मातरम के खिलाफ नारे लगाए थे और उस समय पंडित जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस अध्यक्ष थे। इसके बाद नेहरू ने सुभाष चंद्र बोस को पत्र लिखकर कहा था कि इसका बैकग्राउंड मुसलमानों को असहज कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का उल्लेख करते हुए कहा कि मंगल पांडेय, बंधु सिंह, धन सिंह कोतवाल और रानी लक्ष्मीबाई जैसे वीरों के संघर्षों के बाद भी जब आंदोलन असफल हुआ, तब वंदे मातरम ने देश की सोई हुई आत्मा को जगाने का कार्य किया।
उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन में डिप्टी कलेक्टर रहे बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने आम जनमानस की भावनाओं को वंदे मातरम के माध्यम से स्वर दिया और यह गीत औपनिवेशिक मानसिकता के प्रतिकार का प्रतीक बन गया।
