नई दिल्ली। ग्रामीण भारत को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में केंद्र सरकार आज एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान सोमवार को संसद में विकसित भारत–गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी VB-G Ram G Bill पेश करेंगे। यह नया कानून 20 वर्ष पुरानी मनरेगा योजना की जगह लेगा और ग्रामीण रोजगार, आजीविका तथा बुनियादी ढांचे को अधिक मजबूत, पारदर्शी और टिकाऊ बनाने का दावा करता है। सरकार का कहना है कि यह विधेयक न केवल ग्रामीण मजदूरों बल्कि किसानों के हितों को भी बेहतर तरीके से सुरक्षित करेगा और विकसित भारत की नींव को मजबूती देगा।
सरकार के अनुसार, मनरेगा वर्ष 2005 के भारत की परिस्थितियों के अनुरूप बनाई गई थी, जबकि आज का ग्रामीण भारत तेजी से बदल चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी में उल्लेखनीय कमी आई है। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2011-12 में जहां गरीबी दर 25.7 प्रतिशत थी, वहीं 2023-24 में यह घटकर मात्र 4.86 प्रतिशत रह गई है। बेहतर कनेक्टिविटी, डिजिटल पहुंच, सामाजिक सुरक्षा और विविध आजीविका विकल्पों के चलते पुराना ढांचा अब वर्तमान जरूरतों से मेल नहीं खाता था। इसी कारण एक नए, आधुनिक और संरचनात्मक रूप से मजबूत कानून की आवश्यकता महसूस की गई।
VB-G Ram G Bill के तहत ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्यों को सालाना 125 दिनों के अकुशल रोजगार की कानूनी गारंटी दी जाएगी, जो मनरेगा के 100 दिनों की तुलना में अधिक है। इसके साथ ही निर्मित सभी परिसंपत्तियों को विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना संग्रह (नेशनल रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक) में दर्ज किया जाएगा। इससे राष्ट्रीय स्तर पर विकास की योजनाएं अधिक समन्वित और प्रभावी ढंग से बनाई जा सकेंगी।
इस नए कानून में वित्तपोषण व्यवस्था को भी बदला गया है। मांग आधारित मॉडल के स्थान पर मानक वित्तपोषण प्रणाली लागू की जाएगी, जिससे बजट में अनुशासन, पारदर्शिता और पूर्वानुमेयता आएगी। केंद्र और राज्य सरकारें इसमें जिम्मेदारी साझा करेंगी। यदि तय समय में रोजगार उपलब्ध नहीं कराया गया, तो बेरोजगारी भत्ता देना अनिवार्य होगा, जिससे रोजगार की गारंटी कानूनी रूप से पूरी तरह सुरक्षित रहेगी।
पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए तकनीक का व्यापक इस्तेमाल किया जाएगा। योजना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जीपीएस, मोबाइल मॉनिटरिंग और रियल-टाइम डैशबोर्ड की व्यवस्था की गई है। हर सप्ताह काम और खर्च का सार्वजनिक खुलासा होगा, वहीं हर ग्राम पंचायत में साल में दो बार सख्त सोशल ऑडिट अनिवार्य किया गया है। केंद्र और राज्य स्तर पर स्टीयरिंग कमेटियां निगरानी करेंगी।
नए कानून का खास फोकस टिकाऊ और उत्पादक परिसंपत्तियों के निर्माण पर है। जल संरक्षण, सिंचाई, सड़क, भंडारण, बाजार और आजीविका से जुड़ी अवसंरचना को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे ग्रामीण व्यापार गतिविधियां तेज होंगी, आय में विविधता आएगी और गांवों में मांग व खपत बढ़ेगी। अवसरों के बढ़ने से शहरों की ओर पलायन का दबाव भी कम होगा।
किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए प्रावधान किया गया है कि बुआई और कटाई के समय राज्य सरकारें कुल 60 दिनों की अवधि अधिसूचित कर सकती हैं, जब सार्वजनिक कार्य नहीं होंगे। इससे कृषि सीजन में मजदूरों की कमी नहीं होगी और उत्पादन लागत नियंत्रित रहेगी। जल संबंधी कार्यों से भूजल स्तर बढ़ेगा, सिंचाई सुविधाएं मजबूत होंगी और बहु-फसली खेती को बढ़ावा मिलेगा।
कुल मिलाकर, सरकार का दावा है कि VB-G Ram G Bill मनरेगा की व्यवस्थागत कमजोरियों को दूर कर ग्रामीण भारत में रोजगार, पारदर्शिता और जवाबदेही को नई दिशा देगा। यह कानून न केवल तात्कालिक रोजगार उपलब्ध कराएगा, बल्कि गांवों को दीर्घकालिक रूप से समृद्ध, आत्मनिर्भर और आपदाओं के प्रति अधिक लचीला बनाने की मजबूत नींव रखेगा।
