शाहजहांपुर में धान खरीद में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर, दो लेखपाल निलंबित फर्जी किसान बनकर धान बेचने वाले तीन लोगों पर एफआईआर दर्ज

शाहजहांपुर। जिले में धान खरीद प्रक्रिया में चल रहे भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े के आरोप आखिरकार सच साबित हुए हैं। प्रशासन द्वारा की गई जांच में दो अलग-अलग मामलों में गंभीर अनियमितताएं सामने आने के बाद जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने दो लेखपालों को तत्काळ निलंबित कर दिया है। साथ ही फर्जी किसान बनकर धान बेचने वाले तीन आरोपियों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई गई है। ये कार्रवाई प्रशासन द्वारा जारी आधिकारिक पत्र में दर्ज की गई।

पिछले कई महीनों से जिले के विभिन्न मंडियों में धान खरीद को लेकर धांधली की शिकायतें उठ रही थीं। लेकिन हाल ही में सामने आए दो मामलों की जांच के बाद जो तथ्य उजागर हुए, उन्होंने मंडियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

पहला मामला पुवायां तहसील के सिसौरा सिसौरी से जुड़ा है। एडीएम प्रशासन रजनीश मिश्रा को शिकायत मिली थी कि विचित्र कुमार, फर्जी किसान बनकर, धान बेच रहा है। शिकायत पर 3 दिसंबर को पुवायां के उप जिलाधिकारी न्यायिक को जांच सौंपी गई। जांच अधिकारी ने 5 दिसंबर को सौंपी गई रिपोर्ट में पाया कि संबंधित लेखपाल ने किसान का सत्यापन बिना किसी भौतिक जांच के कर दिया था। रिपोर्ट में यह भी साबित हुआ कि विचित्र कुमार ने दस्तावेजों में हेरफेर कर अवैध रूप से धान बेचने का प्रयास किया। मामले को गंभीर मानते हुए जिलाधिकारी ने उस लेखपाल को निलंबित कर दिया और विचित्र कुमार, गजेंद्र सिंह और अमन सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई।

दूसरा मामला तिलहर मंडी से सामने आया। एडीएम को व्हाट्सऐप पर शिकायत मिली थी कि तिलहर के धर्मपुर कंजा निवासी आकाश गुप्ता ने फर्जी पंजीकरण कराकर धान बेचा है। इसकी जांच उप जिलाधिकारी जलालाबाद (न्यायिक) को सौंपी गई। जांच में पाया गया कि यहां भी लेखपाल ने दस्तावेजों का सही सत्यापन नहीं किया था, जिससे फर्जी पंजीकरण की राह खुली। मामले की पुष्टि होने पर जिलाधिकारी ने इस लेखपाल को भी तत्काल निलंबित करते हुए आरोपी के खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू करा दी।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अब तक केवल दो मामलों की जांच हुई है और दोनों में ही फर्जीवाड़ा साबित हो गया है। उनका दावा है कि यदि जिले की सभी मंडियों में मौजूद धान खरीद केंद्रों की इसी तरह गहन जांच कराई जाए, तो एक बड़े पैमाने पर चल रहे भ्रष्टाचार का खुलासा संभव है। लोगों का यह भी मानना है कि विस्तृत जांच होने पर कई सफेदपोश और अधिकारी भी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं।

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