कल्याण अदालत ने नौ महीने के सश्रम कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई
ठाणे, 9 दिसंबर : ठाणे जिले के कल्याण में एक अदालत ने भारत में अवैध रूप से ठहरने के मामले में आठ बांग्लादेशी नागरिकों को दोषी ठहराया है। अदालत ने पांच दिसंबर को दिए फैसले में सभी आरोपियों को नौ महीने के सश्रम कारावास की सजा और प्रत्येक पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस. जी. इनामदार ने चार अलग-अलग मामलों में सुनवाई के बाद फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि चूंकि सभी आरोपियों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है, इसलिए वे कानून के तहत दंडित किए जाने के पात्र हैं। साथ ही अदालत ने यह भी माना कि इन आरोपियों की सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए “मानवीय दृष्टिकोण” अपनाना आवश्यक है।
अदालत ने टिप्पणी की कि आरोपी गरीबी, अज्ञानता और निरक्षरता के कारण यह भी स्पष्ट रूप से नहीं बता सके कि वे बिना दस्तावेजों के भारतीय सीमा में कैसे प्रवेश कर गए। जिन आरोपों में उन्हें दोषी ठहराया गया है, उनमें अधिकतम पांच वर्ष तक की सजा का प्रावधान है, लेकिन अदालत ने परिस्थितियों को देखते हुए अपेक्षाकृत कम सजा निर्धारित की।
सभी आरोपियों को अप्रैल 2025 में ठाणे जिले के विभिन्न हिस्सों से गिरफ्तार किया गया था। चार महिला आरोपियों—मोइना गाजी उर्फ मोइना मस्जिद सरदार (37), अमीना जहांगीर गाजी (22), शहनाज मोहम्मद अली सरदार (44) और नरगिस मोहम्मद सरदार (32)—को डोंबिवली इलाके से पकड़ा गया था। वहीं माजिदा रसूल शेख (35) को कल्याण से गिरफ्तार किया गया।
इसके अलावा, पेंटर के रूप में काम करने वाले मोहम्मद शांतो यूनुस मुल्ला (30) और उनकी पत्नी, ब्यूटी पार्लर कर्मचारी सुमी मोहम्मद शांतो मुल्ला (28), को भी कल्याण से ही पकड़ा गया। जबकि मजदूर नूर मोनू पठान को उल्हासनगर से गिरफ्तार किया गया था।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जेल अधीक्षक और जांच अधिकारी आपस में समन्वय कर सजा पूरी होने के बाद आरोपियों को कानूनी प्रक्रिया के अनुसार देश से निर्वासित करने की कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।
