नौकरी पर बहाली नहीं होगी, छात्राओं से जुड़े आरोप गंभीर—अदालत ने कही सख्त बातें
नई दिल्ली, 8 दिसंबर : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को असम के गोसाईगांव कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर मोहम्मद जॉयनल आबेदीन को सोशल मीडिया पर भारत विरोधी पोस्ट करने के आरोप में दी गई गिरफ्तारी के मामले में जमानत दे दी। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह राहत केवल जमानत तक सीमित है और इसे उनकी नौकरी पर बहाली का आधार नहीं माना जाएगा।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने बताया कि आबेदीन के खिलाफ दो और मामले लंबित हैं, जिनमें छात्राओं से छेड़छाड़ और उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणियां करने के आरोप शामिल हैं। अदालत इससे पहले उन्हें “विकृत व्यक्ति” और “युवतियों के लिए खतरा” कह चुकी है।
पीठ ने कहा कि आबेदीन छह महीने से अधिक समय से जेल में बंद हैं और मुकदमे के जल्द समाप्त होने की संभावना नहीं दिखती, इसलिए उन्हें जमानत दी जा रही है। आदेश के अनुसार, आबेदीन को जमानत बॉण्ड दाखिल करने पर रिहा किया जाएगा, लेकिन उन्हें हर सुनवाई पर अदालत में उपस्थित रहना होगा। साथ ही, छात्राओं से जुड़े आरोपों के कारण यह राहत सेवा बहाली का आधार नहीं बनेगी।
मुख्य न्यायाधीश ने असम सरकार के वकील से कहा कि कॉलेज से उनका निलंबन बरकरार रहना चाहिए। अदालत ने 12 नवंबर को भी आबेदीन की अंतरिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उन्हें महिलाओं का पीछा करने और ऑनलाइन अश्लील टिप्पणियां करने की आदत है और उन्हें आसानी से रिहा नहीं किया जा सकता।
आबेदीन की ओर से अदालत में यह दलील दी गई कि वे छह महीने से जेल में हैं और आरोप-पत्र दाखिल होने के बावजूद मुकदमा शुरू नहीं हो पाया है। उनके वकील ने कहा कि जिस पोस्ट के कारण गिरफ्तारी हुई, उसके लिए आबेदीन माफी मांग चुके हैं और उसे हटा भी दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया था कि गोसाईगांव अदालत में न्यायिक अधिकारी की नियुक्ति करें या मामले को कोकराझार की सत्र अदालत में स्थानांतरित करें, ताकि मुकदमा आगे बढ़ सके।
आबेदीन को मई में कथित भारत विरोधी पोस्ट डालने के बाद हिरासत में लिया गया था और बाद में औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया था।
