आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इंफाल में जनजातीय नेताओं के साथ बैठक में सामाजिक एकता का उदबोधन किया

इंफाल, 21 नवंबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को मणिपुर के इंफाल में जनजातीय नेताओं के साथ बैठक में सामाजिक एकता और समरसता का उदबोधन किया। उन्होंने दोहराया कि संघ का उद्देश्य समाज को मजबूत और समृद्ध बनाना है, न कि किसी के खिलाफ काम करना।

भागवत ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आरएसएस न तो राजनीति करता है और न ही किसी संगठन को रिमोट कंट्रोल से संचालित करता है। उनका कहना था कि संघ केवल मित्रता, स्नेह और सामाजिक सद्भाव के माध्यम से काम करता है। उन्होंने भारतीय सभ्यता की निरंतरता पर जोर देते हुए कहा कि विविधताओं के बावजूद हम एक सभ्यतागत परिवार के सदस्य हैं और एकता के लिए समानता की आवश्यकता नहीं होती।

उन्होंने आरएसएस संस्थापक डॉ. के.बी. हेडगेवार के प्रयासों को याद करते हुए कहा कि संघ की स्थापना बाहरी दबाव के कारण नहीं, बल्कि आंतरिक फूट को दूर करने और समाज को समृद्ध बनाने के लिए की गई थी। भागवत ने इसे व्यक्ति-निर्माण और चरित्र-निर्माण आंदोलन बताते हुए कहा कि हर कोई जो समाज की भलाई के लिए कार्य करता है, वह अघोषित रूप से संघ का स्वयंसेवक है।

जनजातीय नेताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि ये मुद्दे राष्ट्रीय चिंता का विषय हैं और उनका समाधान संविधान के दायरे में होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि परिवार या स्थानीय समस्याओं का समाधान संवाद और एकता के माध्यम से होना चाहिए, न कि अनुबंधात्मक सौदेबाजी से।

भागवत ने औपनिवेशिक नीतियों से उत्पन्न ऐतिहासिक विभाजनों का जिक्र करते हुए जनजातीय नेताओं से स्वदेशी परंपराओं, भाषाओं और लिपियों पर गर्व करने तथा सांस्कृतिक पहचान पर आधारित जीवनशैली अपनाने का आ’’ान किया।

युवा नेताओं से बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत एक प्राचीन और सतत सभ्यता है, न कि हाल की शताब्दियों में बना राष्ट्र। उन्होंने युवाओं से राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी करने और संघ की शाखाओं के माध्यम से जिम्मेदार, सक्षम और नि:स्वार्थ नागरिक बनने की प्रेरणा लेने का आग्रह किया।

भागवत की यह बैठक मणिपुर में सामाजिक एकता और सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि आरएसएस का लक्ष्य हर स्तर पर सशक्त नागरिक तैयार करना और समाज को एकजुट रखना है।

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