बिहार कांग्रेस में घमासान तेज: महिला इकाई अध्यक्ष का इस्तीफा, टिकट बंटवारे पर बगावत ने बढ़ाई चिंता

बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के एक सप्ताह बाद कांग्रेस की प्रदेश इकाई में शुक्रवार को आंतरिक उथल-पुथल उस समय और गहरा गई जब पार्टी की महिला इकाई की अध्यक्ष सरवत जहां फातिमा ने टिकट न मिलने के विरोध में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के तुरंत बाद असंतुष्ट नेताओं का समूह प्रदेश मुख्यालय सदाकत आश्रम पहुंचा और पार्टी नेतृत्व के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इन नेताओं ने हाल ही में जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को खारिज करते हुए आरोप लगाया कि संगठनात्मक प्रक्रियाओं को कमजोर कर टिकट बंटवारे को मनमाने तरीके से प्रभावित किया गया।

फातिमा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने इस बार महिलाओं के साथ नाइंसाफी की है। उन्होंने कहा कि 61 उम्मीदवारों में केवल आठ प्रतिशत महिलाएं शामिल की गईं, जबकि वह स्वयं पिछले 28 महीनों से महिलाओं के राजनीतिक सशक्तीकरण के नाम पर पार्टी के लिए समर्थन जुटाने में लगी थीं। उन्होंने कहा, “मेरे सभी पूर्ववर्तियों को टिकट मिला, लेकिन मुझे मौका नहीं दिया गया। मैं 12–13 पूर्व महिला अध्यक्षों के नाम गिना सकती हूँ, जिन्हें हमेशा टिकट का अवसर मिला है।” फातिमा के अनुसार, टिकट वितरण में महिलाओं की उपेक्षा कांग्रेस के वादों के विरुद्ध है और यह उनकी पद छोड़ने का मुख्य कारण बना।

इस्तीफे के बाद सदाकत आश्रम में पार्टी विरोधी नारों की गूंज सुनाई दी। असंतुष्ट नेता “टिकट चोर पार्टी छोड़ो” जैसे नारे लगाते देखे गए। इन नेताओं में वे 40 से अधिक सदस्य भी शामिल थे, जिन्हें कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में नोटिस जारी किया गया था। पूर्व प्रवक्ता आनंद माधव ने इस नोटिस को पूरी तरह अवैध करार देते हुए कहा कि इसे जारी करने वाले अधिकारी के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने दावा किया, “केवल एआईसीसी महासचिव (संगठन) ऐसे नोटिस जारी कर सकते हैं। यहाँ संगठनात्मक प्रक्रिया का खुला उल्लंघन हुआ है।” माधव ने अनुशासन समिति की संरचना पर भी सवाल उठाए और दावा किया कि समिति के तीन सदस्य ही सक्रिय हैं, जबकि नियमों के अनुसार इसमें पांच सदस्य होने चाहिए।

माधव ने अनुशासन समिति प्रमुख की राजनीतिक निष्ठा पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में समिति प्रमुख भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ नजर आए हैं, जिससे उनकी तटस्थता पर सवाल खड़े होते हैं। विवाद पर कांग्रेस पदाधिकारियों की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

हालात उस समय और गरमा गए जब पूर्णिया के निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव असंतुष्टों को शांत कराने प्रदेश कार्यालय पहुंचे। लेकिन इसके बजाय नेताओं का गुस्सा और भड़क गया। उनका आरोप था कि यादव ने बिहार मामलों के प्रभारी कृष्णा अल्लावरु के साथ मिलकर टिकटों की खरीद-फरोख्त में भूमिका निभाई है। पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन राज्यसभा सांसद हैं और माना जाता है कि यादव की नजदीकी के कारण अल्लावरु पर भी पक्षपात के आरोप लगते रहे हैं।

बिहार चुनाव में कांग्रेस केवल छह सीटें जीत पाई, जिससे संगठन में निराशा और असंतोष गहरा गया है। पार्टी के दिग्गज नेता—प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार राम, शकील अहमद खान और अजीत शर्मा—भी अपनी सीट नहीं बचा सके। लगातार हार, नेतृत्व पर सवाल और अब आंतरिक बगावत ने कांग्रेस की प्रदेश इकाई को एक बड़े राजनीतिक संकट में धकेल दिया है।

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