दिल्ली–एनसीआर में लगातार बढ़ते प्रदूषण स्तर का असर अब दैनिक जीवन पर साफ़ दिखाई देने लगा है। हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुँचने के बाद प्रशासन ने एहतियाती कदम तेज़ कर दिए हैं। शनिवार को कई निजी और सरकारी स्कूलों ने बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कक्षाएँ अस्थायी रूप से बंद करने की घोषणा की। कुछ स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था भी शुरू कर दी है, ताकि बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो।
विशेषज्ञों का कहना है कि ज़हरीली हवा बच्चों, बुजुर्गों और सांस से जुड़ी बीमारियों वाले लोगों के लिए बेहद खतरनाक हो सकती है। इस कारण अभिभावकों के बीच भी चिंता बढ़ गई है। कई स्कूल प्रबंधनों ने सलाह दी है कि फिलहाल बच्चे अनावश्यक रूप से बाहर न जाएँ और मास्क पहनकर ही घर से निकलें।
प्रदूषण संकट का प्रभाव दफ्तर जाने वाले लोगों पर भी पड़ रहा है। कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को स्वास्थ्य सुरक्षा के मद्देनज़र वर्क-फ्रॉम-होम की सलाह दी है। आईटी और सर्विस सेक्टर की कई फर्मों ने अगले कुछ दिनों तक कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति दे दी है।
सरकार ने भी प्रदूषण नियंत्रण के लिए ग्रैप (GRAP) के तहत कई प्रतिबंध लागू कर दिए हैं। निर्माण कार्यों पर रोक, सड़कों पर पानी का छिड़काव, स्मॉग टावरों का उपयोग बढ़ाने और औद्योगिक उत्सर्जन की सख़्त निगरानी जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।
विशेषज्ञों ने जनता से अपील की है कि वे प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों से बचें और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए जरूरी सावधानियाँ बरतें, क्योंकि आने वाले दिनों में हवा की गुणवत्ता में और गिरावट की आशंका है।
