हवा में मौजूद कण गठिया रोगियों के लिए बन रहे नयी चुनौती, एनसीआर के डॉक्टरों ने दी चेतावनी

नयी दिल्ली, 19 नवंबर। राष्ट्रीय राजधानी में तापमान में गिरावट और धुंध बढ़ने के साथ सर्दियां दस्तक दे चुकी हैं, और इसके साथ ही चिकित्सकों ने स्वास्थ्य के दोहरे खतरे—ठंड और प्रदूषण—के प्रति आगाह किया है। दिल्ली-एनसीआर में पिछले दो महीनों के दौरान गठिया रोगियों में जोड़ों के दर्द से जुड़ी चिकित्सकीय सलाह लेने के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हालांकि, समग्र वृद्धि को मापने वाला सटीक डेटा फिलहाल उपलब्ध नहीं है।

दिल्ली-एनसीआर के अस्थि रोग विशेषज्ञों के अनुसार ‘यूरोपियन मेडिकल जर्नल’ में प्रकाशित 2025 के एक अध्ययन में पाया गया है कि लंबे समय तक पीएम 2.5 जैसे सूक्ष्म कणों के संपर्क में रहने से गठिया होने का जोखिम 12 से 18 प्रतिशत बढ़ जाता है। डॉक्टरों का मानना है कि प्रदूषित हवा और ठंड का मेल जोड़ों के दर्द और सूजन को काफी बढ़ा सकता है।

सर्दियों में जोड़ों के आसपास स्थित मांसपेशियों का सख्त होना, रक्त प्रवाह का धीमा होना और ऊतकों का सिकुड़ना सामान्य बात है। ये सभी कारक आस्टियोआर्थराइटिस तथा रुमेटॉइड आर्थराइटिस के मरीजों में दर्द को अधिक बढ़ा देते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि खराब वायु गुणवत्ता इस स्थिति को और खराब कर सकती है।

पारस हेल्थ, गुरुग्राम के डॉ. अरविंद मेहरा ने बताया, “पिछले कुछ सप्ताह में गठिया की समस्याओं में वृद्धि देखी गई है, विशेषकर बुजुर्गों और पहले से जोड़ों की दिक्कत झेल रहे लोगों में। ठंड के कारण रक्त प्रवाह कम हो जाता है, जिससे जोड़ों में जकड़न आती है, जबकि प्रदूषित हवा शरीर में सूजन के रास्तों को प्रभावित करती है।”

उन्होंने कहा कि सर्द मौसम और जहरीली हवा का यह संयोजन मरीजों की स्थिति को गंभीर बनाने के लिए पर्याप्त है। डॉ. मेहरा ने सलाह दी कि मरीज खुद को गर्म रखें, हल्का व्यायाम करते रहें और अचानक दर्द होने पर तुरंत चिकित्सकीय मदद लें।

मैक्स हेल्थकेयर के रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट एवं रिकंस्ट्रक्शन विभाग के डॉ. साइमन थॉमस ने कहा कि पर्यावरणीय कारक जोड़ों के स्वास्थ्य पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालते हैं। “पीएम 2.5 जैसे कण केवल फेफड़ों को ही प्रभावित नहीं करते, बल्कि रक्त प्रवाह में शामिल होकर पूरे शरीर में सूजन पैदा कर सकते हैं, जिससे जोड़ों की समस्याएं बढ़ जाती हैं।”

चिकित्सकों ने कहा कि इस सर्दी सीजन में यह स्पष्ट हो गया है कि हमारा स्वास्थ्य उस हवा पर निर्भर है जिसे हम रोज सांस में लेते हैं। उन्होंने लोगों को सलाह दी कि प्रदूषण से बचाव के उपायों को गंभीरता से लें, ताकि जोड़ों तथा संपूर्ण स्वास्थ्य पर इसके दुष्प्रभाव कम हों।

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