नयी दिल्ली, 17 नवंबर—रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष सोमवार को दूसरी बार पेश होने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह “डिजिटल उपस्थिति/रिकॉर्डेड वीडियो” के माध्यम से बयान दर्ज कराने के लिए तैयार हैं।
ईडी ने अंबानी की यह पेशकश अस्वीकार कर दी और उन्हें सोमवार को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए नया समन जारी किया था। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि एजेंसी अब तीसरा समन जारी करेगी या नहीं।
इस फेमा मामले की जांच जयपुर-रींगस राजमार्ग परियोजना से जुड़ी है। ईडी ने आरोप लगाया है कि इस परियोजना में क़रीब 40 करोड़ रुपये की कथित हेराफेरी हुई और धन को सूरत स्थित फर्जी कंपनियों के माध्यम से दुबई भेजा गया, जिससे 600 करोड़ रुपये से अधिक के अंतरराष्ट्रीय हवाला नेटवर्क का पता चला।
अंबानी के प्रवक्ता ने कहा कि अंबानी किसी भी तारीख और समय पर वर्चुअल माध्यम से अपना बयान दर्ज कराने के लिए उपलब्ध हैं। अंबानी ने 2007 से 2022 तक रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर में केवल गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में काम किया और कंपनी के दैनिक प्रबंधन में शामिल नहीं रहे।
ईडी पहले अंबानी और उनकी कंपनियों की 7,500 करोड़ रुपये की संपत्ति धनशोधन निरोधक कानून के तहत कुर्क कर चुकी है। अंबानी पहले भी ईडी के सामने उनके समूह की कंपनियों के खिलाफ कथित 17,000 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी से जुड़ी पूछताछ का सामना कर चुके हैं।
बयान में यह भी कहा गया कि जयपुर-रींगस राजमार्ग परियोजना पूरी तरह से घरेलू अनुबंध था, इसमें किसी भी तरह का विदेशी मुद्रा घटक शामिल नहीं था, और 2021 से यह परियोजना भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के पास है।
इस मामले में अनिल अंबानी की डिजिटल या रिकॉर्डेड बयान देने की पेशकश और ईडी का उसे अस्वीकार करना अब केंद्रीय जांच एजेंसी और व्यवसायी के बीच कानूनी टकराव का नया दौर बन गया है।
