लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और दक्षता को सुदृढ़ करने की दिशा में एक और अहम निर्णय लिया है। उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग (संशोधन) अध्यादेश, 2025 को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन से स्वीकृति मिल गई है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने उच्च, माध्यमिक और बेसिक शिक्षा विभागों में सहायक आचार्य, टीईटी, टीजीटी, पीजीटी जैसी भर्ती परीक्षाओं को निष्पक्ष और तकनीकी रूप से सुदृढ़ बनाने के लिए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम, 2023 के तहत आयोग का गठन किया था। यह आयोग सभी स्तरों पर शिक्षा सेवाओं से जुड़ी परीक्षाओं का एकीकृत और पारदर्शी संचालन सुनिश्चित करता है।
मंत्री उपाध्याय ने बताया कि आयोग के कार्यक्षेत्र और दायरे को ध्यान में रखते हुए, अब अध्यक्ष पद की पात्रता में संशोधन किया गया है। अधिनियम की धारा 4(2)(क) के अंतर्गत पहले केवल भारतीय प्रशासनिक सेवा के सदस्य रहे अधिकारी को ही अध्यक्ष बनने की पात्रता थी, लेकिन अब संशोधन के तहत राज्य सरकार में प्रमुख सचिव या उसके समकक्ष पद पर कार्यरत या कार्य कर चुके अधिकारी भी इस पद के लिए पात्र होंगे।
उन्होंने कहा कि योगी सरकार का उद्देश्य आयोग को ऐसा अनुभवी और सक्षम नेतृत्व देना है, जो आधुनिक तकनीक आधारित परीक्षा प्रणाली के माध्यम से पारदर्शी और समयबद्ध भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित कर सके।
