नई दिल्ली। अक्टूबर, 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति रिकॉर्ड निचले स्तर 0.25 प्रतिशत पर आ गई। यह गिरावट मुख्य रूप से जीएसटी में कटौती और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी के कारण हुई है। सब्जी, फल, अंडा जैसे जरूरी खाने-पीने के सामानों के सस्ते होने के साथ ही आम लोगों की दैनिक उपयोग की लगभग 380 वस्तुओं पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती का सीधा असर महंगाई दर पर पड़ा।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के अनुसार, अक्टूबर में खाद्य मुद्रास्फीति शून्य से नीचे -5.02 प्रतिशत रही। वहीं, सितंबर में यह 1.44 प्रतिशत और पिछले साल अक्टूबर में 6.21 प्रतिशत थी। एनएसओ ने बताया कि तेल, वसा, सब्जी, फल, अंडा, जूते, अनाज, परिवहन और संचार की कीमतों में नरमी भी मुद्रास्फीति कम होने में सहायक रही।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भी मुद्रास्फीति कम हुई है। ग्रामीण क्षेत्र में यह 0.25 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 0.88 प्रतिशत रही। राज्यवार आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक मुद्रास्फीति केरल में 8.56 प्रतिशत रही, इसके बाद जम्मू-कश्मीर (2.95%), कर्नाटक (2.34%), पंजाब (1.81%) और तमिलनाडु (1.29%) का स्थान रहा। वहीं, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज की गई।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी और कई उपभोक्ता वस्तुओं पर जीएसटी दर घटाए जाने से महंगाई दर में कमी आई है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति दिसंबर, 2025 की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत कटौती के लिए समर्थन करेगी।
केयरएज रेटिंग्स की अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाए जाने का सकारात्मक असर अक्टूबर की मुद्रास्फीति में देखा गया। उन्होंने बताया कि मुद्रास्फीति में नरमी आरबीआई को आर्थिक वृद्धि पर ध्यान देने की अधिक गुंजाइश देती है, हालांकि बाहरी चुनौतियां और अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता की अनिश्चितताएं बनी हुई हैं।
मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अगली बैठक 3 से 5 दिसंबर को होगी। एनएसओ उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़े 1,181 ग्रामीण और 1,114 शहरी बाजारों से एकत्रित करता है। इस गिरावट ने उपभोक्ताओं के लिए राहत तो दी ही है, साथ ही केंद्रीय बैंक को मौद्रिक नीति में लचीलापन भी प्रदान किया है।
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