इंदौर, 6 नवंबर : मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने शुक्रवार को हिन्दी फिल्म ‘हक’ की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता अपनी दलीलों के समर्थन में कोई ठोस आधार प्रस्तुत नहीं कर सकीं। इस फैसले के साथ ही यामी गौतम धर और इमरान हाशमी अभिनीत यह फिल्म 7 नवंबर को निर्धारित तारीख पर रिलीज़ होने का रास्ता साफ हो गया है।
यह फिल्म 1985 में मुस्लिम महिलाओं के भरण-पोषण संबंधी ऐतिहासिक शाह बानो प्रकरण से प्रेरित बताई जा रही है। फिल्म में शाह बानो बेगम के संघर्षपूर्ण जीवन और उनके कानूनी संघर्ष की झलक दिखाई गई है। वर्ष 1992 में शाह बानो बेगम का निधन हो गया था।
उनकी बेटी सिद्दिका बेगम खान ने अदालत में याचिका दायर करते हुए फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग की थी। उनका कहना था कि यह फिल्म उनके परिवार की सहमति के बिना बनाई गई है और इसमें उनकी दिवंगत मां के निजी जीवन से जुड़े प्रसंगों को गलत ढंग से पेश किया गया है।
फिल्म से जुड़ी कंपनियों के वकीलों ने अदालत में दलील दी कि यह फिल्म किसी व्यक्ति विशेष की जीवनी नहीं है, बल्कि सामाजिक मुद्दों से प्रेरित एक काल्पनिक कथा है। उन्होंने याचिका को निराधार बताते हुए उसे खारिज करने का अनुरोध किया।
सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा ने चार नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को जारी आदेश में उन्होंने कहा, “मेरा सुविचारित मत है कि याचिकाकर्ता इस मामले में हस्तक्षेप का कोई भी कारण प्रस्तुत करने में विफल रही हैं। अतः यह याचिका निराधार प्रतीत होती है और इसे खारिज किया जाता है।”
गौरतलब है कि 1978 में शाह बानो बेगम ने अपने वकील पति मोहम्मद अहमद खान से तलाक के बाद गुजारा-भत्ता पाने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी। उनकी लंबी कानूनी लड़ाई के परिणामस्वरूप 1985 में उच्चतम न्यायालय ने शाह बानो के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। मुस्लिम संगठनों के विरोध के बाद 1986 में राजीव गांधी सरकार ने मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम लागू किया, जिसने सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले को अप्रभावी बना दिया था।
फिल्म ‘हक’ अब नियत तारीख पर देशभर के सिनेमाघरों में प्रदर्शित की जाएगी।
