कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर उमड़ा आस्था का सैलाब, गढ़मुक्तेश्वर में लाखों श्रद्धालु पहुंचे

हापुड़, 5 नवम्बर 2025। गढ़मुक्तेश्वर में कार्तिक पूर्णिमा का मुख्य स्नान बुधवार की सुबह ब्रह्ममुहूर्त से शुरू होते ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। मां गंगा की आराधना के लिए ब्रजघाट, पूठ और मेला स्थल पर करीब 35 से 40 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। गंगा तट पर श्रद्धालु पवित्र स्नान कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। पूरे मेला क्षेत्र में आस्था का अद्भुत नजारा दिखाई दे रहा है।

श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन और पुलिस ने पुख्ता इंतजाम किए हैं। एसपी ज्ञानंजय सिंह के नेतृत्व में हजारों पुलिसकर्मी घाटों से लेकर हाईवे तक मुस्तैद हैं। मेला क्षेत्र को कई जोन में बांटते हुए प्रत्येक जोन में मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारी तैनात किए गए हैं। भीड़ नियंत्रण के लिए महिला पुलिसकर्मी भी बिना वर्दी के बाजार और घाटों पर निगरानी कर रही हैं।

कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर मंगलवार की शाम गंगानगरी में दीपदान और महाआरती का आयोजन हुआ। श्रद्धालुओं ने दिवंगत आत्माओं की शांति और मोक्ष की कामना करते हुए गंगा में दीप प्रवाहित किए। जैसे ही हजारों दीप जलधारा में तैरे, गंगा तट मानो तारों से जगमगा उठा। इस पवित्र क्षण में लोगों की आंखें नम हो गईं। ब्रजघाट और पूठ में काशी की तर्ज पर विशेष आरती स्थल बनाए गए थे, जहां पुरोहितों ने शंखनाद के साथ मां गंगा की महाआरती की।

मंगलवार को भारतीय किसान यूनियन टिकैत के जिलाध्यक्ष दिनेश खेड़ा के नेतृत्व में किसानों ने भी गंगा में खड़े होकर शांतिपूर्ण मेले की कामना की। उन्होंने गन्ना मूल्य वृद्धि के फैसले का स्वागत करते हुए श्रद्धालुओं में खिचड़ी और प्रसाद का वितरण किया।

भीड़ बढ़ने के साथ ही हाईवे पर यातायात व्यवस्था चरमरा गई। मंगलवार शाम दीपदान के समय हापुड़ बाईपास, ब्रजघाट पुल और मेला रोड पर कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया। पुलिस ने स्याना चौराहे से ब्रजघाट की ओर जाने वाले वाहनों को रोककर श्रद्धालुओं को पैदल भेजा। देर रात तक वाहनों की लंबी कतारें लगी रहीं।

मेले का औपचारिक समापन छह नवम्बर को होगा, लेकिन लाखों श्रद्धालु पिछले कई दिनों से तंबुओं में डेरा जमाए हुए हैं। गंगा किनारे फैले इस विशाल मेला क्षेत्र में श्रद्धा, भक्ति और उल्लास का अद्भुत संगम दिखाई दे रहा है। मां गंगा की आराधना और दीपदान की परंपरा ने एक बार फिर गढ़मुक्तेश्वर की गंगा नगरी को आस्था के महासागर में बदल दिया है।

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