कौशांबी (उप्र), एक नवंबर : भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति बी. आर. गवई ने शनिवार को छात्र-छात्राओं को नसीहत दी कि इंसान चाहे कितनी भी बुलंदियों पर पहुंचे, उसे अपनी मिट्टी और संस्कृति से नाता नहीं तोड़ना चाहिए।
न्यायमूर्ति गवई जिले के चायल तहसील स्थित माहेश्वरी प्रसाद इंटर कॉलेज के वार्षिकोत्सव समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उनके साथ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली भी थे।
छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश गवई ने कहा, “आप चाहे जितने बड़े बन जाएं, लेकिन अपनी मिट्टी से नाता नहीं तोड़ना चाहिए। अपनी संस्कृति को कभी नहीं भूलना चाहिए।” उन्होंने कहा कि युवा देश का भविष्य हैं और कल का भारत इस पर निर्भर करेगा। उन्होंने कौशांबी को बुद्ध की धरती बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र में शिक्षा का बीज यहाँ से बोया गया।
न्यायमूर्ति गवई ने विद्यालय के संस्थापक स्वर्गीय देवेंद्र नाथ श्रीवास्तव का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने इस छोटे से गांव में छोटे प्रयास से शिक्षा का मार्ग खोला, जो अब एक विशाल वट वृक्ष बन चुका है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने कहा कि यह कॉलेज ग्रामीण प्रतिभाओं को देश की मुख्य धारा में लाने का पुल है। उन्होंने शिक्षा को केवल नौकरी का साधन न मानते हुए कहा कि यह सही और गलत में भेद करना सिखाती है।
न्यायमूर्ति भंसाली ने शिक्षकों को छात्र-छात्राओं को कक्षा में सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करने की सलाह दी और कहा कि तकनीक का प्रयोग हमेशा सकारात्मक कार्यों में ही करना चाहिए।
यह कार्यक्रम न केवल शिक्षा के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि युवाओं को अपने सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों से जुड़े रहने की प्रेरणा भी देता है।
