पथनमथिट्टा (केरल), एक नवंबर : केरल के प्रसिद्ध सबरीमला मंदिर से कथित तौर पर सोने के गायब होने के मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने शनिवार को पूर्व कार्यकारी अधिकारी सुधीश कुमार को गिरफ्तार कर लिया। कुमार 2019 में मंदिर के कार्यकारी अधिकारी थे। उन्हें तिरुवनंतपुरम स्थित अपराध शाखा कार्यालय में पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया।
एसआईटी के सूत्रों ने बताया कि कुमार पर आरोप है कि उन्होंने द्वारपालक की मूर्तियों में लगी सोने की परत की जानकारी छिपाई और मंदिर के आधिकारिक अभिलेखों में उन्हें तांबे की मूर्तियां दर्शाया। यह मामला 1998-1999 में मूर्तियों और गर्भगृह पर सोने की परत चढ़ाए जाने से जुड़ा है। कुमार को इस बात का ज्ञान था कि मूर्तियों पर सोने की परत चढ़ी है, लेकिन उन्होंने मुख्य आरोपी उन्नीकृष्णन पोट्टी को इसे तांबे की प्लेट के रूप में दर्ज करने की अनुमति दी, जिससे बाद में सोना चोरी किया जा सका।
सूत्रों के अनुसार, कुमार ने त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) से सिफारिश की थी कि द्वारपालक प्लेटों को इलेक्ट्रोप्लेटिंग के लिए पोट्टी को सौंप दिया जाए। हालांकि, प्लेटों को हटाने का काम पवित्र आभूषण आयुक्त की उपस्थिति के बिना किया गया।
कुमार इस मामले में गिरफ्तार किए गए तीसरे व्यक्ति हैं। इससे पहले मुख्य आरोपी उन्नीकृष्णन पोट्टी और पूर्व प्रशासनिक अधिकारी बी. मुरारी बाबू को गिरफ्तार किया जा चुका है। कुमार को न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) की अदालत में पेश किया गया, जहां उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। अदालत ने आदेश दिया कि आरोपी को सोमवार को दोबारा पेश किया जाए।
इसी बीच, एसआईटी ने पोट्टी के करीबी सहयोगी वासुदेवन से भी पूछताछ की। जांच में पता चला कि वासुदेवन ने द्वारपालक मूर्तियों के अलावा सोने की परत लगे आसन को अपने पास रखा था, जिसे पिछले महीने तिरुवनंतपुरम में पोट्टी के रिश्तेदार के घर से जब्त किया गया।
एसआईटी अब द्वारपालक की मूर्तियों और गर्भगृह की चौखटों से सोने की चोरी से जुड़े दो मामलों की पूरी तरह से जांच कर रही है, जिन्हें 2019 में इलेक्ट्रोप्लेटिंग के लिए पोट्टी को सौंपा गया था।
यह गिरफ्तारी सबरीमला मंदिर की सुरक्षा और सोने की चोरी से जुड़ी जांच में महत्वपूर्ण मोड़ मानी जा रही है।
