नई दिल्ली, 30 अक्टूबर । दिल्ली पुलिस ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) मामले में बड़ा बयान दिया है। पुलिस ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय में दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य सह-अभियुक्त “विक्टिम कार्ड” खेल रहे हैं और लंबी कैद के आधार पर जमानत पाने की कोशिश कर रहे हैं।
दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह दंगे किसी आकस्मिक प्रतिक्रिया का परिणाम नहीं थे, बल्कि एक “गहरी, सुनियोजित और पूर्व नियोजित साजिश” के तहत भड़काए गए थे। पुलिस ने उमर खालिद को दंगों का मुख्य साजिशकर्ता और शरजील इमाम को हिंसा के पहले चरण की योजना बनाने में अहम भूमिका निभाने वाला बताया।
पुलिस ने आरोप लगाया कि दोनों ने “देश को बदनाम करने” और “भारत संघ के खिलाफ माहौल बनाने” के उद्देश्य से एक रणनीतिक अभियान चलाया। हलफनामे में कहा गया, “साजिश के दौरान की गई चैट, मीटिंग और समन्वय यह दर्शाते हैं कि आरोपियों के बीच विचारों की समानता थी और वे एक ही लक्ष्य की दिशा में कार्य कर रहे थे।”
दिल्ली पुलिस ने यह भी कहा कि यह आरोपियों पर निर्भर नहीं करता कि वे मुकदमे में देरी का आरोप लगाकर “विक्टिम कार्ड” खेलें और लंबी हिरासत के आधार पर राहत मांगें। पुलिस के अनुसार, 900 गवाहों के कारण मुकदमे के लंबा चलने की दलील “भ्रामक बहाना” है, जो केवल जमानत हासिल करने के लिए दिया जा रहा है।
हलफनामे में कहा गया कि उमर खालिद और शरजील इमाम ने जेएनयू के “धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने” को तोड़कर ‘मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू’ नामक एक व्हाट्सऐप समूह बनाया और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों को भड़काने की कोशिश की। आरोप है कि उन्होंने विरोध प्रदर्शनों को हिंसक रूप देने, सड़क जाम करने और आवश्यक सेवाओं को बाधित करने की रणनीति बनाई।
पुलिस ने बताया कि जनवरी 2020 में खालिद ने सीलमपुर में एक गुप्त बैठक में गुलफिशा फातिमा, नताशा नरवाल और देवांगना कलिता सहित अन्य कार्यकर्ताओं को हिंसा के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया। पुलिस के अनुसार, फातिमा ने इन प्रदर्शनों को शांतिपूर्ण आंदोलन से हिंसक रूप में बदलने में “प्रमुख समन्वयक” की भूमिका निभाई।
पुलिस ने कहा कि जामिया समन्वय समिति के सदस्य मीरान हैदर ने धन एकत्रित करने और प्रदर्शनकारियों को पुलिस व गैर-मुसलमानों पर हमले के लिए उकसाने में भूमिका निभाई।
इस मामले में न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की पीठ शुक्रवार को उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
गौरतलब है कि फरवरी 2020 में हुए दिल्ली दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे। खालिद, इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर पर यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के तहत ‘मुख्य साजिशकर्ता’ के रूप में आरोप दर्ज हैं।
