दिल्ली में क्लाउड सीडिंग का प्रयोग : वायु प्रदूषण से राहत की उम्मीद

दिल्ली में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार ने एक नया प्रयोग शुरू किया है — क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) यानी कृत्रिम बारिश। यह तकनीक वायु में मौजूद प्रदूषक कणों को नीचे गिराने और हवा को शुद्ध करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। इसके तहत विमान से बादलों में सोडियम क्लोराइड, पोटेशियम या सिल्वर आयोडाइड जैसे रसायनों का छिड़काव किया जाता है, जिससे बादल वर्षा करते हैं।राजधानी में इस साल अक्टूबर और नवंबर के महीने में प्रदूषण का स्तर खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया था। AQI 450 के पार जाने के बाद दिल्ली सरकार ने IIT-कानपुर के वैज्ञानिकों की मदद से क्लाउड सीडिंग का फैसला लिया। इस प्रयोग के लिए विशेष विमान और मौसम विभाग के सहयोग से मौसम की स्थितियों का विश्लेषण किया गया, ताकि उपयुक्त बादलों के समय पर सीडिंग की जा सके।हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम केवल अल्पकालिक राहत प्रदान कर सकता है। वायु प्रदूषण की जड़ में वाहन उत्सर्जन, पराली जलाना, निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल और औद्योगिक धुआं शामिल हैं। जब तक इन स्रोतों पर स्थायी नियंत्रण नहीं होता, तब तक कृत्रिम बारिश का असर कुछ दिनों से अधिक नहीं रहेगा।पर्यावरणविदों का कहना है कि क्लाउड सीडिंग को एक “आपात उपाय” के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि स्थायी समाधान के रूप में। साथ ही यह प्रक्रिया महंगी भी है — एक बार के प्रयोग पर करोड़ों रुपये का खर्च आता है। इसके बावजूद, अगर इससे कुछ दिनों के लिए भी प्रदूषण घटता है और सांस लेने योग्य हवा मिलती है, तो इसे प्रयोगात्मक सफलता कहा जा सकता है।सरकार का दावा है कि क्लाउड सीडिंग के परिणामों का वैज्ञानिक मूल्यांकन किया जाएगा, ताकि भविष्य में इसे और प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।

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