चंडीगढ़, 25 अक्टूबर : हरियाणा के हिसार जिले की एक अदालत ने जासूसी के आरोप में गिरफ्तार यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने कहा कि उनकी रिहाई से जांच प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा होने की आशंका है।
मल्होत्रा (33), जो ‘ट्रैवल विद जो’ नाम से यूट्यूब चैनल चलाती हैं, को 16 मई को हिसार पुलिस ने शासकीय गोपनीयता अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डॉ. परमिंदर कौर की अदालत ने 23 अक्टूबर को अपने विस्तृत आदेश में मल्होत्रा की नियमित जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि मामला गंभीर प्रकृति का है और प्रथम दृष्टया उपलब्ध साक्ष्य आरोपी के खिलाफ मजबूत आधार प्रस्तुत करते हैं।
अदालत ने कहा, “सरकारी गोपनीयता अधिनियम और बीएनएस के तहत दर्ज यह मामला बेहद संवेदनशील है। आरोपी के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से मिली फोरेंसिक सामग्री, मल्टी-एजेंसी सेंटर (SMAC) की खुफिया रिपोर्ट और एक विदेशी अधिकारी के साथ संपर्कों के संकेत यह दर्शाते हैं कि जमानत मिलने पर जांच में बाधा आ सकती है या डिजिटल साक्ष्यों से छेड़छाड़ की जा सकती है। यह स्थिति सार्वजनिक और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के प्रतिकूल होगी।”
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी थी कि अभियोजन पक्ष विदेशी एजेंटों को संवेदनशील सामग्री भेजे जाने का प्रत्यक्ष प्रमाण पेश नहीं कर सका है। इस पर अदालत ने कहा कि यह सही है कि ऐसी बातों की विस्तृत पड़ताल मुकदमे के दौरान की जाएगी, परंतु जमानत पर विचार करते समय अदालत को मौजूदा साक्ष्यों की समग्रता को देखना आवश्यक है।
अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी की पाकिस्तान यात्रा, वहां कथित वीआईपी आतिथ्य और उच्चायोग के अधिकारियों से मुलाकात जैसे तथ्यों को इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के साथ मिलाकर देखने पर यह प्रथम दृष्टया स्पष्ट होता है कि उसने ऐसे व्यक्तियों से संपर्क किया जिनकी पहचान और उद्देश्य जांच के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, ज्योति मल्होत्रा नवंबर 2023 से पाकिस्तान उच्चायोग के कर्मचारी एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश के संपर्क में थीं। भारत सरकार ने 13 मई को दानिश को जासूसी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने के आरोप में निष्कासित कर दिया था।
अदालत के इस आदेश के बाद ज्योति मल्होत्रा को अब न्यायिक हिरासत में ही रहना होगा, जबकि पुलिस जासूसी नेटवर्क और विदेशी संपर्कों की कड़ी की जांच में जुटी है।
