इस्लामाबाद/दोहा, 20 अक्टूबर — अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच पिछले एक सप्ताह से जारी सीमा संघर्ष के बीच दोनों देशों ने तत्काल संघर्ष विराम और स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र स्थापित करने पर सहमति जताई है। यह समझौता कतर की राजधानी दोहा में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की वार्ता के बाद हुआ, जिसमें कतर और तुर्किये ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई।
कतर के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में बताया गया कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और अफगानिस्तान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब के बीच वार्ता हुई, जिसमें दोनों देशों के बीच हालिया झड़पों के बाद पैदा हुए तनाव को खत्म करने की दिशा में कदम उठाए गए।
बयान के मुताबिक, “दोनों पक्ष तत्काल संघर्ष विराम करने और एक तंत्र स्थापित करने पर सहमत हुए हैं ताकि स्थायी शांति और स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।” साथ ही यह भी तय किया गया कि इस तंत्र को प्रभावी बनाने के लिए आने वाले दिनों में और बैठकें की जाएंगी।
सीमा पर तनाव की पृष्ठभूमि
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब काबुल के पास पाकिस्तानी हवाई हमलों के बाद सीमा पर झड़पें तेज हो गई थीं। इन झड़पों में दर्जनों लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हो चुके हैं। पाकिस्तान ने इन हमलों के पीछे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को जिम्मेदार ठहराया है और अफगान सरकार से इस संगठन के खिलाफ “सत्यापन योग्य कार्रवाई” की मांग की है।
पाकिस्तान का आरोप है कि टीटीपी अफगान भूमि का उपयोग कर सीमा पार हमले कर रहा है। हाल ही में खैबर पख्तूनख्वा के ओरकजई जिले में एक सैन्य हमला, जिसमें 11 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे, ने स्थिति को और गंभीर बना दिया।
संघर्षविराम और उसके बावजूद हुए हमले
बुधवार को पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने अस्थायी संघर्षविराम की घोषणा की थी, जिसे बाद में शुक्रवार को बढ़ाया गया। लेकिन कुछ ही घंटों बाद, पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर फिर से हवाई हमले किए। इन हमलों में तीन अफगान क्रिकेटर सहित कई लोगों की मौत हुई। पाकिस्तान ने यह हमला उत्तरी वजीरिस्तान में सैन्य प्रतिष्ठान पर टीटीपी के हमले के जवाब में किया था।
कूटनीतिक असर और क्रिकेट पर भी प्रभाव
इस तनाव का असर कूटनीति के साथ-साथ खेल जगत पर भी पड़ा है। अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने प्रतिक्रिया स्वरूप नवंबर के अंत में होने वाली त्रिकोणीय टी20 सीरीज से हटने का फैसला किया, जिसमें पाकिस्तान भी हिस्सा लेने वाला था।
पाकिस्तान ने कतर और तुर्किये की मध्यस्थता की सराहना करते हुए उम्मीद जताई है कि यह वार्ता क्षेत्र में स्थायी शांति और सुरक्षा स्थापित करने में मदद करेगी।
