उत्तर प्रदेश: कृषि से संस्कृति तक, विकास की नई रोशनी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश एक ओर जहां कृषि उत्पादन में नई ऊँचाइयाँ छू रहा है, वहीं दूसरी ओर सांस्कृतिक कार्यक्रमों से पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “पल्स आत्मनिर्भरता मिशन” के तहत राज्य ने दलहन उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़त दर्ज की है। 2016-17 में जहां उत्तर प्रदेश का दलहन उत्पादन 2.39 मिलियन टन था, वहीं 2024-25 तक यह बढ़कर लगभग 3.4 मिलियन टन तक पहुंच गया है। कृषि विभाग का लक्ष्य है कि वर्ष 2030-31 तक इसे 4 मिलियन टन से ऊपर पहुंचाया जाए।कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यह उपलब्धि आधुनिक तकनीक, उच्च गुणवत्ता वाले बीज, सिंचाई सुविधाओं और किसानों को दी गई प्रशिक्षण योजनाओं का परिणाम है। राज्य सरकार ने अरहर, उड़द और मूंग जैसी दालों की खेती के लिए प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की हैं, जिससे किसान दलहन फसलों की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं। यह पहल देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। वहीं, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी उत्तर प्रदेश सुर्खियों में है। आगामी 19 अक्टूबर को आयोध्या दीपोत्सव 2025 में इस बार रिकॉर्ड 28 लाख मिट्टी के दीये जलाने की तैयारी है। सरयू नदी के 56 घाटों पर रोशनी की अनूठी छटा बिखरेगी, जबकि केवल राम की पैड़ी पर ही 15 से 16 लाख दीये जगमगाएंगे।इस विशाल आयोजन में 30,000 से अधिक स्वयंसेवक हिस्सा लेंगे। कार्यक्रम में देश-विदेश से पर्यटकों के आने की उम्मीद है। प्रशासन ने सुरक्षा, यातायात और स्वच्छता की विशेष व्यवस्था की है। कृषि और संस्कृति के इन दो उदाहरणों से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश एक साथ विकास और परंपरा दोनों क्षेत्रों में नई मिसालें कायम कर रहा है।

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