राष्ट्र सेवा, समाज उत्थान और मानवता की भलाई ही शिक्षा का सर्वोच्च उद्देश्य होना चाहिए: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

लखनऊ, 7 अक्टूबर : उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को कहा कि शिक्षा का सर्वोच्च उद्देश्य केवल रोजगार नहीं, बल्कि राष्ट्र सेवा, समाज उत्थान और मानवता की भलाई होना चाहिए। वह आजमगढ़ स्थित महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में बतौर अध्यक्ष बोल रही थीं।

राज्यपाल पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि आज शिक्षा केवल नौकरी पाने का साधन नहीं रह गई है, बल्कि इसके माध्यम से छात्रों को आत्मनिर्भर, कुशल और नैतिक नागरिक बनाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बदलती तकनीकी दुनिया में युवाओं को नए-नए कौशल सीखने और स्वयं को समय के अनुरूप ढालने की आवश्यकता है।

उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उल्लेख करते हुए कहा कि यह नीति शिक्षा को राष्ट्रीय मूल्यों, सांस्कृतिक धरोहर और रोजगार से जोड़ने का कार्य कर रही है। यह विद्यार्थियों को तकनीकी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाती है और उन्हें ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना से कार्य करने के लिए प्रेरित करती है।

इस अवसर पर राज्यपाल ने 60,857 विद्यार्थियों को उपाधियाँ और 68 मेडल प्रदान किए, जिनमें से 51 छात्राओं और 17 छात्रों को मिले। इसके अलावा, आजमगढ़ और मऊ के आंगनबाड़ी केंद्रों के सशक्तीकरण हेतु 500 किटों का वितरण भी किया गया।

उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे आने वाले 25 वर्षों को ‘विकसित भारत’ के निर्माण का आधार मानते हुए कार्य करें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं पर जो विश्वास जताया है, उसे सार्थक करने की जिम्मेदारी अब छात्रों के कंधों पर है।

समारोह के मुख्य अतिथि, परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के स्वामी चिदानंद सरस्वती ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि यह केवल डिग्री प्राप्त करने का दिन नहीं, बल्कि शिक्षा का प्रसाद है, जो गुरुओं के आशीर्वाद से प्राप्त हुआ है।

राज्यपाल ने अंत में महाराजा सुहेलदेव के शौर्य का स्मरण करते हुए विश्वविद्यालय के नाम को गौरवशाली बताया और छात्रों से उनके आदर्शों पर चलने का आह्वान किया।

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