कोलकाता, 29 दिसंबर । पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को तुष्टीकरण के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वह “सही मायने में धर्मनिरपेक्ष” हैं और बिना किसी भेदभाव के सभी धर्मों के कार्यक्रमों में भाग लेती हैं।
मुख्यमंत्री कोलकाता के न्यू टाउन इलाके में देवी दुर्गा को समर्पित सांस्कृतिक परिसर ‘दुर्गा आंगन’ की आधारशिला रखने के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा, “लोग मुझ पर तुष्टीकरण का आरोप लगाते हैं, लेकिन यह सही नहीं है। मैं सही मायने में धर्मनिरपेक्ष हूं।”
हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अक्सर उन पर मुस्लिम समुदाय के तुष्टीकरण का आरोप लगाती रही है।
ममता बनर्जी ने कहा, “जब मैं गुरुद्वारे जाती हूं तो कोई कुछ नहीं कहता, लेकिन जब मैं ईद के कार्यक्रम में जाती हूं तो मेरी आलोचना होने लगती है।” उन्होंने आगे कहा, “जब मैं गुरुद्वारे जाती हूं तो सिर पर दुपट्टा रखती हूं। अगर मैं रमज़ान के दौरान किसी कार्यक्रम में जाती हूं तो ऐसा क्यों नहीं कर सकती? आज मैं यहां हूं, इसलिए मैंने सिर ढक रखा है।”
मुख्यमंत्री ने राज्य में चल रही मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया पर भी गंभीर चिंता जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया के चलते आम लोगों को परेशान किया जा रहा है और इसके कारण कुछ लोगों की जान तक चली गई है।
बनर्जी ने दावा किया, “लोगों को बेवजह प्रताड़ित किया जा रहा है। बंगाल में चार नवंबर को एसआईआर शुरू होने के बाद एक महीने के भीतर 50 से अधिक लोगों ने या तो आत्महत्या कर ली है या उनकी मौत हो गई है। हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते।”
उन्होंने सवाल उठाया कि नागरिकता और मतदान के अधिकार के बीच क्या संबंध है। मुख्यमंत्री ने कहा, “अगर कोई बांग्ला बोलता है तो उसे होटल में कमरा नहीं मिलता। अगर कोई बांग्ला बोलता है तो उसे बांग्लादेशी करार दे दिया जाता है। विभाजन से पहले हम सब एक साथ थे।”
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख भाजपा शासित राज्यों में बांग्लादेशी होने के संदेह पर बंगाली भाषी मुसलमानों को कथित तौर पर धमकाने की घटनाओं का जिक्र कर रही थीं।
अपने संबोधन के अंत में ममता बनर्जी ने कहा, “हम सभी जातियों, पंथों और धर्मों से प्रेम करते हैं। हमारी विचारधारा मानवता है। याद रखिए, मैं धैर्य रख रही हूं, लेकिन धैर्य की भी एक सीमा होती है। हम लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ते रहेंगे और इसके लिए अपनी जान कुर्बान करने को भी तैयार हैं।”
