मुंबई, 29 दिसंबर । मुंबई में साइबर ठगों ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों का रूप धारण कर एक 68 वर्षीय बुजुर्ग महिला से 3.71 करोड़ रुपये की ठगी कर ली। इस मामले में पुलिस ने गुजरात के सूरत से एक आरोपी को गिरफ्तार किया है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह ठगी 18 अगस्त से 13 अक्टूबर के बीच हुई। आरोपियों ने महिला को यह कहकर डराया कि उसके बैंक खाते का इस्तेमाल धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) में किया जा रहा है और उसे “डिजिटल अरेस्ट” कर लिया गया है।
18 अगस्त को महिला को एक फोन आया, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को कोलाबा थाने का अधिकारी बताया। उसने दावा किया कि मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया है और जांच के लिए महिला से उसके बैंक खातों की जानकारी ली गई।
इसके बाद एक आरोपी ने खुद को अधिकारी एस.के. जायसवाल बताते हुए महिला से उसके जीवन पर दो–तीन पन्नों का निबंध लिखवाया और भरोसा दिलाया कि वह निर्दोष है तथा उसे जमानत दिलाई जाएगी।
पुलिस के अनुसार, इसके बाद महिला को वीडियो कॉल के जरिए एक नकली अदालत कक्ष में पेश किया गया, जहां एक व्यक्ति ने खुद को न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ बताया। निवेश सत्यापन के नाम पर महिला से बैंक विवरण मांगे गए, जिसके बाद उसने दो महीनों में अलग–अलग बैंक खातों में कुल 3.75 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए।
जब अचानक फोन कॉल आना बंद हो गए, तब महिला को साइबर ठगी का एहसास हुआ। उसने पश्चिम क्षेत्र साइबर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।
जांच में सामने आया कि ठगी की रकम कई ‘म्यूल’ खातों में भेजी गई थी। इन्हीं में से एक खाता गुजरात के सूरत में मिला। पुलिस ने वहां से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया, जिसने एक फर्जी कपड़ा व्यापार कंपनी के नाम पर चालू खाता खोला था।
आरोपी ने स्वीकार किया कि उसने साइबर ठगों को अपने खाते के जरिए पैसा जमा करने की अनुमति दी थी। उसके खाते में आए 1.71 करोड़ रुपये के बदले उसे 6.40 लाख रुपये का कमीशन मिला। आरोपी ने गिरोह के दो मुख्य सरगनाओं की पहचान भी की है, जो फिलहाल विदेश में हैं।
पुलिस ने बताया कि पूरे गिरोह को पकड़ने के प्रयास जारी हैं और मामले की गहन जांच की जा रही है।
