बंगाल में बीएलओ की मौत पर सियासी घमासान, टीएमसी ने एसआईआर प्रक्रिया को ठहराया जिम्मेदार

कोलकाता, 28 दिसंबर। पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले में एक बूथ-स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) के मृत पाए जाने के बाद मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सियासी विवाद तेज हो गया है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इस घटना के लिए एसआईआर से जुड़े काम के दबाव को जिम्मेदार ठहराते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं।

यह घटना रविवार सुबह रानीबांध प्रखंड की है, जहां एक स्कूल परिसर से बीएलओ हराधन मंडल का शव बरामद किया गया। पुलिस के अनुसार, मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला है। मृतक मंडल पेशे से शिक्षक थे और रजकाटा क्षेत्र के अंतर्गत बूथ संख्या 206 पर बीएलओ के रूप में कार्यरत थे।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि बरामद सुसाइड नोट मृतक के हस्ताक्षर वाला है, जिसमें कथित तौर पर उन्होंने काम के अत्यधिक दबाव को सहन न कर पाने की बात लिखी है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और पूरे मामले की जांच की जा रही है।

इस घटना को लेकर टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भाजपा पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी ने चुनावी लाभ के लिए एसआईआर प्रक्रिया को जबरन आगे बढ़ाया है। बनर्जी ने दावा किया कि इस तथाकथित ‘मतदाता-सफाया अभियान’ के कारण पैदा हुई घबराहट, चिंता, थकान और डर से अब तक 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

अभिषेक बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा कि जल्दबाजी, अव्यवस्था और राजनीतिक रूप से प्रेरित एसआईआर प्रक्रिया के अमानवीय दबाव में एक और बीएलओ ने अपनी जान गंवा दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत निर्वाचन आयोग का प्रमुख कार्यक्रम ‘स्वीप’ (व्यवस्थित मतदाता शिक्षा और चुनावी भागीदारी) भी इस दबाव से अछूता नहीं रहा।

उन्होंने कहा कि जो प्रक्रिया व्यवस्थित और पारदर्शी होनी चाहिए थी, उसे एक लचर और मिलीभगत वाले निर्वाचन आयोग द्वारा जबरन थोप दिया गया। बनर्जी ने आरोप लगाया कि यह सब एक पार्टी के राजनीतिक हितों और एक व्यक्ति के अहंकार की पूर्ति के लिए किया जा रहा है।

भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सत्ता की राजनीति में थकान, निराशा या डर से होने वाली मौतों को वह “स्वीकार्य नुकसान” मानती है और इन्हें मामूली घटना के रूप में पेश करती है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल न तो माफ करेगा और न ही भूलेगा, इतिहास सब देख रहा है।”

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