सोनभद्र (उप्र), 21 नवंबर — सोनभद्र जिले के बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र में 15 नवंबर को हुए भीषण खदान हादसे की जांच अब औपचारिक रूप से तेज हो गई है। हादसे में सात मजदूरों की मौत के बाद प्रशासन ने मजिस्ट्रेट जांच शुरू कर दी है और इस संबंध में अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) रमेश चंद्र को जांच अधिकारी नामित किया गया है। एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि की।
जिलाधिकारी बी.एन. सिंह के अनुसार, हादसा मेसर्स कृष्णा माइनिंग वर्क्स की खदान में हुआ था, जिसे 8.79 एकड़ भूमि पर 10 वर्षों के लिए खनन का पट्टा दिया गया था। इस कंपनी में मधुसूदन सिंह और दिलीप केशरी साझीदार बताए जाते हैं। हादसे के बाद उपजिलाधिकारी ओबरा ने मजिस्ट्रेट जांच की आवश्यकता जताई, जिसके आधार पर एडीएम (न्यायिक) को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई। डीएम ने निर्देश दिया है कि दुर्घटना के कारणों और जिम्मेदारियों की पूरी रिपोर्ट एक पखवाड़े के भीतर उपलब्ध कराई जाए।
उधर, पुलिस ने मामले में कार्रवाई तेज करते हुए शुक्रवार को चार आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया है। गिरफ्तार व्यक्तियों में ओबरा निवासी अजय कुमार (44), गौरव सिंह (32), चंद्र शेखर सिंह (46) और बिहार के दरभंगा के निवासी अनिल कुमार झा (55) शामिल हैं। पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा ने बताया कि मुख्य आरोपी माने जा रहे खनन कंपनी के साझेदार मधुसूदन सिंह और दिलीप केशरी फिलहाल फरार हैं। उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की कई टीमें गठित की गई हैं। आवश्यकता पड़ने पर उनकी संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई भी की जा सकती है।
हादसे की जांच को और व्यापक बनाने के लिए पुलिस ने पांच सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। टीम का नेतृत्व क्षेत्राधिकारी ओबरा हर्ष पांडेय कर रहे हैं। SIT खदान संचालन, सुरक्षा मानकों और खनन गतिविधियों में संभावित अनियमितताओं की गहन जांच करेगी। एसपी वर्मा ने कहा,
“टीम यह जांच करेगी कि नियमों के विरुद्ध जाकर खनन कराने में कौन-कौन जिम्मेदार हैं। मामले की तह तक जाने के लिए सभी की भूमिका की जांच होगी।”
सात मजदूरों की मौत से क्षेत्र में शोक और आक्रोश दोनों व्याप्त है। हादसे के बाद से प्रशासन और खनन कंपनी की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे थे। अब मजिस्ट्रेट जांच और SIT दोनों के सक्रिय होने से यह उम्मीद की जा रही है कि दुर्घटना के कारणों और जवाबदेह व्यक्तियों की पहचान जल्द हो सकेगी।
