शाहजहांपुर। राजकीय मेडिकल कॉलेज में प्रसव के दौरान प्रसूता की संदिग्ध मृत्यु ने स्वास्थ्य व्यवस्था और अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों द्वारा जिलाधिकारी को शिकायत पत्र सौंपे जाने के बाद शनिवार को इस मामले में जांच की गति अचानक तेज हो गई। अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) अरविंद कुमार स्वयं मेडिकल कॉलेज पहुंचे और लगभग एक घंटे तक घटनाक्रम की गहन समीक्षा की। उनकी मौजूदगी से अस्पताल प्रशासन में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
जांच के दौरान एडीएम ने सबसे पहले अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज खंगाले, ताकि घटनाक्रम के वास्तविक क्रम की पुष्टि की जा सके। इसके साथ ही लेबर रूम, संबंधित वार्डों और ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सा एवं नर्सिंग स्टाफ के बयान दर्ज किए गए। अधिकारियों ने अस्पताल के रिकॉर्ड रूम में रखे दस्तावेजों की भी बारीकी से जांच की, जिसमें भर्ती रजिस्टर, दवा प्रिस्क्रिप्शन, रक्त मांग की प्रविष्टि और उपचार विवरण शामिल थे।
मामले के अनुसार हुसैनपुरा निवासी पत्रकार कमल रावत की बेटी प्रियंका को 16 नवंबर को प्रसव पीड़ा होने पर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों की लापरवाही, टालमटोल रवैया, इलाज में देरी, तथा बाहर से दवाएँ और रक्त मंगाने के अनावश्यक दबाव के कारण प्रियंका की हालत लगातार बिगड़ती गई। उनका कहना है कि समय पर उचित चिकित्सा नहीं मिलने के चलते ही प्रियंका की मौत हुई।
पीड़ित परिवार ने 18 नवंबर को जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह को लिखित शिकायत दी, जिसके बाद डीएम ने तत्परता दिखाते हुए दो सदस्यीय जांच समिति का गठन किया। इसमें एडीएम (वित्त एवं राजस्व) और सीएमओ को शामिल किया गया है। शनिवार को दोनों अधिकारियों ने अस्पताल का विस्तृत निरीक्षण किया और घटनाक्रम से जुड़े सभी पहलुओं की जाँच की।
सूत्रों के अनुसार समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार कर ली है, जिसे जल्द ही जिला प्रशासन को सौंपा जाएगा। इसके बाद अगली कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा। वहीं पीड़ित परिजनों ने दोषी चिकित्सकों और संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ कठोर एवं प्रभावी कार्रवाई की मांग की है। प्रसूता की मौत के बाद उठे सवालों ने न केवल अस्पताल प्रबंधन बल्कि स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर भी गहरी चिंता पैदा कर दी है। अब सभी की निगाहें प्रशासनिक निर्णय पर टिकी हैं।
