लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निवर्तमान महासचिव एवं लखनऊ नगर निगम के पार्षद मुकेश सिंह चौहान ने मंगलवार को मेयर सुषमा खर्कवाल पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि नगर निगम की प्राथमिक जिम्मेदारियों को छोड़ मेयर “सियासी एजेंडा” साधने में जुटी हैं।
चौहान ने कहा कि लखनऊ की जनता ने मेयर को शहर की साफ-सफाई, सड़कों की मरम्मत, सीवर समस्या और नागरिक सुविधाओं के सुधार के लिए चुना था, लेकिन वह इन मुद्दों पर ध्यान न देते हुए रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान के नाम पर “राजनीतिक ध्रुवीकरण” कर रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि लगभग एक वर्ष पहले मेयर ने शहर में ढाई लाख अवैध नागरिकों का दावा किया था, पर अब तक एक भी संदिग्ध की पहचान नहीं की जा सकी।
उन्होंने कहा कि शहर की सफाई व्यवस्था, कूड़ा उठान, जलजमाव, टूटी सड़कों और पेयजल जैसी बुनियादी समस्याओं पर जब जनता सवाल करती है तो मेयर “सियासी बयानबाज़ी” से ध्यान भटकाने की कोशिश करती हैं। चौहान ने सवाल उठाया कि यदि मेयर वास्तव में शहर में अवैध नागरिकों को लेकर चिंतित हैं तो इस विषय में गृह मंत्रालय भारत सरकार या राज्य सरकार को पत्र क्यों नहीं लिखा गया?
पार्षद चौहान ने मेयर द्वारा संविदा और आउटसोर्सिंग पर काम कर रहे सफाई कर्मचारियों के नागरिकता दस्तावेज जांचने के निर्देश को “संविधान विरोधी, अमानवीय और श्रमिक-विरोधी” बताया। उन्होंने कहा कि नगर निगम की भूमिका नागरिक सुविधाओं के प्रबंधन की है, न कि नागरिकता निर्धारण जैसे संवेदनशील विषयों की।
उन्होंने आरोप लगाया कि सफाई कर्मचारियों—जिन्होंने महामारी के दिनों में जान जोखिम में डालकर काम किया—को अब अपनी नागरिकता साबित करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जो बेहद शर्मनाक है। चौहान ने इसे भाजपा की “घुसपैठिया राजनीति” का हिस्सा बताया, जिसमें विकास कार्यों की कमियों से ध्यान हटाने के लिए ऐसे मुद्दे उछाले जाते हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी इस कदम की कड़ी निंदा करती है और इसे मानवाधिकार व श्रमिक अधिकारों का उल्लंघन मानती है। उन्होंने कहा कि मेयर को याद रखना चाहिए कि उन्हें लखनऊ का विकास देखने के लिए चुना गया है, “न कि गृह मंत्री की भूमिका निभाने के लिए।”
चौहान ने मांग की कि नगर निगम शहर की वास्तविक समस्याओं—सफाई, सड़क, सीवर, जल निकासी और श्रमिकों के अधिकार—पर ध्यान केंद्रित करे और नागरिकों की सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता बनाए।
