एक माह बाद भी सुराग नहीं, विभागीय लापरवाही उजागर-पुलिस–विभाग की कार्यप्रणाली पर उठे गंभीर सवाल
शाहजहाँपुर। लखनऊ में रिश्तेदार की गोली मारकर हत्या के आरोप में पकड़ा गया 17 वर्षीय नाबालिग संप्रेक्षण गृह की सुरक्षा को धता बताकर 4 नवम्बर को फरार हो गया, लेकिन यह बेहद चौंकाने वाली बात है कि 24 घंटे तक न पुलिस को इसकी जानकारी हुई और न विभाग ने उच्चाधिकारियों को सूचना भेजना उचित समझा।
यह वही घटना है जिसने संप्रेक्षण गृह की सुरक्षा, निगरानी प्रणाली और विभागीय जवाबदेही पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं।
सूत्रों के अनुसार किशोर बिना किसी रोक–टोक के दीवार फांदकर बाहर निकल गया। सुरक्षा कर्मियों को घटना का आभास तब हुआ जब वह काफी दूर निकल चुका था। सबसे बड़ी चूक यह कि डीपीओ ने कांट थाने में गुमशुदगी दर्ज कराने में लगभग एक दिन की देरी कर दी, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।
करीब दस दिन पूर्व जब पुलिस टीम आरोपी के लखनऊ स्थित घर पहुंची, तब उसके परिवार को पहली बार पता चला कि किशोर फरार है। अब एक माह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन पुलिस और विभाग दोनों के हाथ कोई ठोस सुराग नहीं लगा है। इससे विभागीय सुस्ती और लापरवाही और भी स्पष्ट हो रही है।
प्रशासनिक हलकों में इस मामले को लेकर कड़ी नाराज़गी है। सवाल उठ रहा है कि सुरक्षा प्रणाली इतनी कमजोर कैसे हो सकती है कि एक हत्यारोपित किशोर आसानी से फरार हो जाए और एक महीने में भी कोई जानकारी न मिले?
थाना कांट प्रभारी निरीक्षक राकेश मौर्या ने कहा कि “पुलिस टीम लगातार लगी है, जल्द ही किशोर को गिरफ्तार किया जाएगा।”
