विद्युत गतिशीलता में भारत की प्रगति

भारत में विद्युत गतिशीलता (इलेक्ट्रिक मोबिलिटी) का दौर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। पर्यावरण संरक्षण, ईंधन बचत और प्रदूषण नियंत्रण को ध्यान में रखते हुए देशभर में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की मांग लगातार बढ़ रही है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष भारत में ईवी बाजार में 14% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। बीते वित्तीय वर्ष में कुल 1.81 लाख इलेक्ट्रिक वाहन बेचे गए, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।इस विकास में उत्तर प्रदेश ने देश का नेतृत्व किया है। प्रदेश में अब तक 29,436 ईवी पंजीकृत किए गए हैं, जो पूरे देश के कुल बिक्री का लगभग 16 प्रतिशत है। यह दर्शाता है कि राज्य सरकार की नीतियाँ, जैसे ईवी नीति-2022, सब्सिडी योजना और चार्जिंग स्टेशन विस्तार, अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल रही हैं। यूपी के बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु भी इस क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं।विशेषज्ञों का मानना है कि देश में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग का यह विकास न केवल पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता घटाएगा, बल्कि लाखों युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगा। केंद्र सरकार ने वर्ष 2030 तक सभी प्रमुख शहरों में सार्वजनिक परिवहन को पूरी तरह इलेक्ट्रिक बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए “फेम-II” (FAME-II) योजना के तहत भारी निवेश किया जा रहा है।वर्तमान में देश में 12 हजार से अधिक सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन संचालित हैं और आने वाले वर्षों में यह संख्या कई गुना बढ़ने की उम्मीद है। सरकार निजी कंपनियों को भी इसमें भागीदारी के लिए प्रोत्साहित कर रही है। कुल मिलाकर, भारत की ईवी क्रांति अब सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं रही—गांवों और कस्बों में भी लोग तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों को अपना रहे हैं, जिससे भविष्य की ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में देश एक बड़ा कदम बढ़ा चुका है।

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