विज्ञापन जगत के दिग्गज पीयूष पांडे का निधन, फिल्म और रचनात्मक जगत में शोक की लहर

नई दिल्ली, 24 अक्टूबर : भारतीय विज्ञापन जगत के दिग्गज और मशहूर ‘एड गुरु’ पीयूष पांडे का शुक्रवार सुबह मुंबई के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वे 70 वर्ष के थे और पिछले कुछ दिनों से श्वसन संबंधी समस्याओं के चलते उनका इलाज चल रहा था। पांडे के निधन की खबर से फिल्म और रचनात्मक जगत में शोक की लहर दौड़ गई।

अमिताभ बच्चन, रवीना टंडन, हंसल मेहता और प्रसून जोशी समेत देश की कई हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनकी रचनात्मकता, विनम्रता तथा हास्यबोध को याद किया। बच्चन ने अपने आधिकारिक ब्लॉग पर लिखा, “एक रचनात्मक प्रतिभा… एक मिलनसार मित्र और मार्गदर्शक हमें छोड़कर चले गए। उनके कार्य उनकी असीम रचनात्मकता के प्रतीक रहेंगे।”

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष और गीतकार प्रसून जोशी ने अपने ‘एक्स’ हैंडल पर पांडे की याद में लिखा, “यकीन करना मुश्किल है कि पीयूष की हंसी अब सिर्फ यादों में रह गई है। उन्होंने काम को जिंदगी जैसा बना दिया। भावनाएं उनकी रणनीति थीं और सादगी, उनकी कला।”

फिल्म निर्देशक हंसल मेहता ने उन्हें याद करते हुए लिखा, “फेविकोल का जोड़ टूट गया। विज्ञापन जगत ने आज अपनी गोंद को खो दिया।” अभिनेत्री रवीना टंडन ने इंस्टाग्राम पर श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, “अपनी बुद्धि से स्वर्ग को और भी जीवंत और खुशनुमा बनाओ, प्रिय पीयूष।”

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि पांडे केवल विज्ञापन विशेषज्ञ नहीं, बल्कि भारत के सबसे बेहतरीन कहानीकारों में से एक थे। “उन्होंने हमें सिखाया कि भावनाएं रचनात्मकता की सच्ची भाषा हैं,” उन्होंने लिखा। अभिनेता विवेक ओबेरॉय ने कहा, “‘दाग अच्छे हैं’ से लेकर ‘हर घर कुछ कहता है’ तक — ये सिर्फ स्लोगन नहीं, बल्कि एक नजरिया थे। पीयूष पांडे ने हमारे टीवी देखने के अनुभव को समृद्ध बनाया।”

1982 में ओगिल्वी इंडिया से अपने करियर की शुरुआत करने वाले पांडे ने कंपनी के ‘ग्लोबल क्रिएटिव हेड’ के पद तक का सफर तय किया। उन्होंने भारतीय विज्ञापन में स्थानीय भाषा, देसी अंदाज और भावनाओं का समावेश कर नई पहचान दी। उनके बनाए प्रसिद्ध विज्ञापनों में कैडबरी का ‘कुछ खास है’, एशियन पेंट्स का ‘हर खुशी में रंग लाए’ और फेविकोल का ‘अंडे वाला विज्ञापन’ शामिल हैं।

पांडे को 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था और 2024 में उन्हें ‘लंदन इंटरनेशनल अवॉर्ड्स’ का लेजेंड अवॉर्ड मिला। वे 2004 में कान्स लायंस जूरी की अध्यक्षता करने वाले पहले एशियाई बने। विज्ञापन के अलावा उन्होंने क्रिकेट में भी योगदान दिया और रणजी ट्रॉफी में राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया था।

उनकी रचनात्मकता, सादगी और मुस्कान भारतीय विज्ञापन जगत के साथ-साथ करोड़ों दर्शकों की यादों में हमेशा गूंजती रहेगी।

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