लोकसभा में फर्जी शिकायत करने वालों पर सख़्त कानून बनाने की मांग तेज, कई मुद्दों पर सांसदों ने सरकार का ध्यान खींचा

नई दिल्ली, 11 दिसंबर — लोकसभा में गुरुवार को शून्यकाल के दौरान विभिन्न दलों के सांसदों ने अपने-अपने क्षेत्रों से जुड़े अहम मुद्दे उठाए। इनमें सबसे प्रमुख मांग फर्जी शिकायत और झूठे मुकदमों में लोगों को फँसाने वालों के खिलाफ कड़े कानून बनाए जाने की रही। भाजपा सांसद रवि किशन ने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से सदन में उठाते हुए कहा कि झूठी शिकायतें न केवल किसी निर्दोष व्यक्ति का जीवन तबाह कर देती हैं, बल्कि न्यायिक व्यवस्था और सरकारी खजाने पर भी भारी बोझ बढ़ाती हैं। इसलिए, ऐसे शिकायतकर्ताओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई के लिए ठोस कानूनी प्रावधान जरूरी है।

रवि किशन ने कहा, “किसी के झूठ से एक व्यक्ति और उसका पूरा परिवार बिखर सकता है। उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हो जाती है, जिसकी भरपाई संभव नहीं है। इसलिए यदि शिकायत झूठी साबित होती है, तो शिकायतकर्ता को दोषी ठहराकर सख्त सजा दी जानी चाहिए।”

सदन में अन्य सांसदों ने भी अपने क्षेत्रों से जुड़े मुद्दे उठाए।
सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के इंद्र हांग सुब्बा ने सिक्किम के 12 समुदायों को जनजातीय दर्जा देने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि यह राज्य के सामाजिक उत्थान और भविष्य की तरक्की के लिए जरूरी है।

समाजवादी पार्टी की रुचि वीरा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की एक पीठ स्थापित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के लोगों को न्याय के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, जिससे समय और धन दोनों की हानि होती है।

इसी दौरान कांग्रेस सांसद मनोज कुमार ने बिहार में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों पर बढ़ते अत्याचार का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाली एससी/एसटी निगरानी समिति की बैठक तीन साल से नहीं हुई है, जिससे ऐसे मामलों की निगरानी और कार्रवाई प्रभावित हुई है।

हरियाणा की समस्या को उजागर करते हुए कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि जलभराव और बाढ़ के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को राहत पैकेज दिया, लेकिन हरियाणा को इससे वंचित रखा गया। हुड्डा ने प्रभावित किसानों को 50 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने की मांग की।

सदन में उठाए गए इन मुद्दों पर सरकार की ओर से अभी कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन कई सांसदों द्वारा उठाई गई मांगें अपने-अपने राज्यों की गंभीर समस्याओं से जुड़ी हैं, जिन पर आने वाले दिनों में राजनीतिक हलचल तेज होने की संभावना है।

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