लखनऊ, एक नवंबर : नवाबों का शहर लखनऊ, जो अपनी अवधी पाककला, मेहमाननवाज़ी और लज़ीज़ जायकों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है, अब औपचारिक रूप से वैश्विक मानचित्र पर भी अपनी पाक पहचान दर्ज करा चुका है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने लखनऊ को ‘पाककला’ (Gastronomy) श्रेणी में क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क (CCN) में शामिल किया है। इस घोषणा के बाद पूरे शहर में उत्साह और गर्व की लहर है।
यूनेस्को की महानिदेशक ऑद्रे अजोले ने 31 अक्टूबर को लखनऊ सहित 58 नए शहरों को इस प्रतिष्ठित सूची में शामिल करने की घोषणा की। अब यह नेटवर्क 100 से अधिक देशों के 408 शहरों तक विस्तृत हो गया है।
पाककला की विरासत को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान
अधिकारियों ने बताया कि दशकों से अपने जाफरानी कबाब, डुम बिरयानी, मलाईदार चाट और मक्खन मलाई जैसे व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध लखनऊ को यह सम्मान उसकी समृद्ध पाककला परंपरा और नवाचार की वजह से मिला है।
टुंडे कबाबी के मालिक मोहम्मद उस्मान ने कहा,
“हम न केवल अच्छा खाना पसंद करते हैं, बल्कि इसे परोसने में भी गर्व महसूस करते हैं। किसी को लखनवी जायके का आनंद लेते हुए देखना एक सच्चे लखनऊवासी के लिए सबसे बड़ी खुशी होती है।”
खाद्य विशेषज्ञ हिना खान ने बताया कि लखनऊ की रसोई मुगल कालीन तकनीकों से प्रभावित रही है।
“यहां की डुम कुकिंग शैली—जहां भोजन को धीमी आंच पर सील करके पकाया जाता है—स्वाद को नमी के साथ बरकरार रखती है। यही इस खानपान की असली पहचान है।”
रेस्तरां ‘क्लेपॉट’ की संचालिका दीप्ति पांडे के अनुसार,
“लखनऊ में हर व्यंजन प्यार और अपनापन से जुड़ा होता है। खाना यहां सिर्फ ज़रूरत नहीं, एक एहसास है।”
कहानीकार हिमांशु बाजपेई ने कहा,
“यूनेस्को की यह मान्यता सिर्फ खुशी नहीं, बल्कि यह भरोसा भी देती है कि लखनवी खाना अब वैश्विक संवाद का हिस्सा बनेगा।”
वैश्विक स्तर पर गौरव का क्षण
‘यूनाइटेड नेशंस इन इंडिया’ ने ‘एक्स’ पर लिखा —
“लज़ीज़ गलौटी कबाब से लेकर अवधी बिरयानी और मक्खन मलाई तक… लखनऊ सदियों पुरानी खानपान परंपराओं का खज़ाना है। यूनेस्को ने इसे अब पाककला के रचनात्मक शहर के रूप में मान्यता दी है।”
सरकार और जनता की प्रतिक्रिया
उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा,
“प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टि और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में आज उत्तर प्रदेश देश ही नहीं, दुनिया के सांस्कृतिक मानचित्र पर चमक रहा है। लखनऊ की यह उपलब्धि उसकी समृद्ध खानपान विरासत की वैश्विक स्वीकृति है।”
राज्य सरकार ने भी सोशल मीडिया पर लिखा —
“यह सम्मान लखनऊ की अवधी पाककला, स्थायी नवाचार और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है। यह पूरे उत्तर प्रदेश के लिए गौरव का क्षण है।”
पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने कहा,
“इस मान्यता से लखनऊ की व्यंजन परंपरा और आतिथ्य संस्कृति को नई अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी।” उन्होंने बताया कि
“2024 में लखनऊ में 82.74 लाख पर्यटक आए, जबकि 2025 के पहले छह महीनों में ही 70.20 लाख पर्यटक पहुंचे हैं। यह दर्शाता है कि खानपान और संस्कृति अब प्रदेश में पर्यटन वृद्धि के प्रमुख कारक बन चुके हैं।”
विशेष सचिव ईशा प्रिया ने कहा,
“लखनऊ अब उन चुनिंदा शहरों में शामिल है जो भोजन को सांस्कृतिक संवाद और सतत विकास का माध्यम बना रहे हैं। आगामी वर्षों में इस पहचान को और सशक्त करने के लिए कई नई पहलें की जाएंगी।”
