शाहजहांपुर। जिले में धान खरीद व्यवस्था इन दिनों बुरी तरह चरमराई हुई है। राइस मिलों से अटैचमेंट न मिलने और सरकारी उठान समय पर न शुरू होने के कारण कई क्रय केंद्रों पर हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। नवंबर के अंतिम चरण में भी उठान पूरी तरह ठप है, जिससे खरीद प्रक्रिया धीमी होने के साथ-साथ सरकारी स्टॉक भी भारी जोखिम में आ गया है।
खुले में पड़ा लाखों बोरों का धान मौसम की मार झेल रहा
रोजा क्षेत्र सहित कई क्रय केंद्रों पर बोरों के ढेर खुले आसमान के नीचे पड़े हैं। तिरपाल की कमी और जगह की तंगी के कारण बोरों को ढक पाना भी संभव नहीं हो पा रहा है। लगातार बदलते मौसम, ओस और हल्की बारिश के चलते धान की गुणवत्ता खराब होने का खतरा बढ़ गया है। किसान अपनी बारी के लिए कई-कई घंटे लाइनों में खड़े हैं, जिससे आक्रोश और चिंता दोनों बढ़ रहे हैं।
उठान ठप, केंद्र प्रभारी असहाय
केंद्र प्रभारियों का कहना है कि मिल अटैचमेंट न मिलने से स्टॉक आगे नहीं बढ़ पा रहा। उच्चाधिकारियों से निर्देश तो मिल रहे हैं, पर उठान शुरू न होने से वे खुद दबाव में हैं और कार्यवाही करने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं। दूसरी ओर विभागीय अफसरों का मौन स्थिति को और गंभीर बना रहा है। आरोप है कि डीटीआरएमओ स्तर से न तो स्पष्ट आदेश जारी किए गए हैं और न ही समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम उठाया गया है।
खरीद व्यवस्था और पारदर्शिता पर सवाल
धान खरीद की पारदर्शी और त्वरित व्यवस्था को लेकर शासन की मंशा जमीन पर फेल होती दिख रही है। मिल अटैचमेंट और उठान में अव्यवस्था के कारण खरीद की गति लगभग रुक चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं हुई तो सरकारी स्टॉक में नमी बढ़ने, गुणवत्ता खराब होने और आर्थिक नुकसान की आशंका है।
जिले की कृषि व्यवस्था के लिए धान खरीद का सुचारू रूप से चलना बेहद आवश्यक है। ऐसे में उठान में देरी और विभागीय निष्क्रियता प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।
