मेरी पार्टी नयी सरकार में शामिल होने को तैयार, नीतीश कुमार ही बनें मुख्यमंत्री: चिराग पासवान

पटना, 15 नवंबर : केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने शनिवार को कहा कि उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) बिहार में बनने वाली नयी सरकार में शामिल होने को उत्सुक है और उनका “व्यक्तिगत” मत है कि जनता दल यूनाइटेड (जद-यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बने रहना चाहिए।
विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की भारी जीत के एक दिन बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी ने जिन 28 सीट पर चुनाव लड़ा, उनमें से 19 पर जीत हासिल की है।
उन्होंने विपक्ष पर यह “झूठा विमर्श” गढ़ने का आरोप लगाया कि उनकी नीतीश कुमार के साथ अनबन है।
अपनी पार्टी के सभी नवनिर्वाचित विधायकों की मौजूदगी में हाजीपुर के सांसद पासवान ने संवाददाताओं से कहा, ”मेरी पार्टी के प्रतिनिधियों ने आज नीतीश कुमार से मिलकर जीत की बधाई दी। हां, हम भी सरकार में शामिल होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। पहले हम कहते थे कि सरकार को समर्थन तो है, पर हम उसका हिस्सा नहीं हैं, क्योंकि विधानसभा में हमारा कोई प्रतिनिधित्व नहीं था।”
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “यह विधायकों पर निर्भर करता है कि अगला मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री कौन होगा। मेरा व्यक्तिगत मत है कि नीतीश कुमार को ही सरकार का नेतृत्व करना चाहिए।”
जद(यू) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से चार कम 85 सीट पर जीत दर्ज की है। यह 2020 के विधानसभा चुनावों के बाद दूसरी बार है जब मुख्यमंत्री की पार्टी अपने सहयोगी से पीछे रही है।
कभी जद(यू) प्रमुख के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखे जाने वाले पासवान ने विपक्ष पर “झूठा विमर्श” गढ़ने का आरोप लगाया, लेकिन स्वीकार किया कि 2020 में वे राजग के साथ चुनाव नहीं लड़े थे, जिससे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को फायदा हुआ और वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।
पासवान ने कहा, “लेकिन राजद अहंकारी हो गई, यह सोचकर कि जनता ने उसे जनादेश दिया है। यही अहंकार पार्टी पर भारी पड़ा। बिहार की जनता राजद और उसके जंगल राज को बहुत पहले ही नकार चुकी थी। 2010 में पार्टी का सफाया हो गया था। 2015 में वह केवल परिस्थितियों की वजह से बेहतर कर पाई, क्योंकि नीतीश कुमार उनके साथ रहे। और 2020 में उन्हें फायदा इसलिए हुआ क्योंकि हम राजग का हिस्सा नहीं थे।”
केंद्रीय मंत्री ने राजग के “केंद्रीय नेतृत्व” को धन्यवाद दिया कि “हमारे पास एक भी विधायक नहीं था, फिर भी हमें 29 सीटें दी गर्इं।” लोजपा (रामविलास) के एक उम्मीदवार को नामांकन जांच में अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
पासवान ने कहा, “हमें खारिज कर दिया गया था। लोग कह रहे थे कि हमें चुनौतीपूर्ण सीट दी गई हैं ताकि हमारी पार्टी खराब प्रदर्शन करे और मेरी छवि को नुकसान पहुंचे। एग्जिट पोल भी यह पूर्वानुमान जता रहे थे कि हम एक अंक में सिमट जाएंगे।”
उन्होंने कहा, “लेकिन मेरी रगों में भी मेरे दिवंगत पिता राम विलास पासवान का ही खून बहता है, जिन्होंने 2014 में पार्टी को पुनर्जीवित किया था।”
लोकसभा चुनाव-2009 में दिवंगत रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी थी और पार्टी संस्थापक स्वयं हाजीपुर जैसी पारंपरिक सीट भी हार गए थे।
एक वर्ष बाद, राजद के साथ मिलकर लड़े विधानसभा चुनावों में भी प्रदर्शन खराब रहा और लोजपा को केवल तीन सीट मिलीं, जिनमें से दो विधायक बाद में जदयू में शामिल हो गए।
वहीं, 2014 में पासवान राजग में शामिल हुए और “मोदी लहर” पर सवार लोजपा ने सात में से छह सीट जीतीं तथा पार्टी संस्थापक को लंबे अंतराल के बाद फिर से केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली।

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