मार्गदर्शन की कमी छात्रों के लिए स्टार्टअप शुरू करने की सबसे बड़ी चुनौती: रिपोर्ट

नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर : बीएमएल मुंजाल विश्वविद्यालय की ओर से जारी एक नयी रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले 35 प्रतिशत से अधिक छात्र अपने उद्यम की शुरुआत में मार्गदर्शन की कमी को सबसे बड़ी चुनौती मानते हैं। ‘युवा उद्यमिता और स्टार्ट-अप शासन : स्थिरता और सफलता के लिए अगली पीढ़ी के उद्यमियों का मार्गदर्शन’ शीर्षक वाली यह रिपोर्ट विश्वविद्यालय के ‘लीडरशिप समिट’ में शुक्रवार को जारी की गई।

रिपोर्ट के अनुसार, 22 प्रतिशत छात्रों ने वित्तीय बाधाओं को मुख्य अवरोध बताया, जबकि 24 प्रतिशत छात्रों ने कानूनी और वित्तीय मामलों में सलाह की कमी को चिंता का विषय माना। सर्वेक्षण से यह भी सामने आया कि असफलता का डर केवल 13 प्रतिशत छात्रों को उद्यम स्थापित करने से रोकता है, वहीं पढ़ाई और स्टार्टअप शुरू करने के बीच संतुलन बैठाना मात्र सात प्रतिशत छात्रों के लिए चुनौतीपूर्ण है।

यह सर्वेक्षण देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 1,000 छात्रों और करीब 200 उद्योग पेशेवरों, निवेशकों तथा स्टार्टअप विशेषज्ञों के बीच किया गया। रिपोर्ट के निष्कर्षों से पता चलता है कि भारतीय युवाओं में उद्यमिता के प्रति उत्साह तेजी से बढ़ रहा है और वे केवल लाभ के बजाय जिम्मेदारी, पारदर्शिता और सामाजिक प्रभाव पर आधारित व्यवसायिक दृष्टिकोण अपनाना चाहते हैं।

रिपोर्ट में बताया गया कि लगभग तीन-चौथाई छात्र भविष्य में खुद का उद्यम शुरू करने की स्पष्ट मंशा रखते हैं। वहीं, आधे से अधिक उद्योग विशेषज्ञों ने माना कि बेहतर शासन प्रणाली (गवर्नेंस) स्टार्टअप्स की दीर्घकालिक सफलता और विकास का प्रमुख आधार है। हालांकि, 33 प्रतिशत विशेषज्ञों ने इसे युवा-नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स की सबसे कमजोर कड़ी भी बताया।

सर्वेक्षण के अनुसार, जिन स्टार्टअप्स में नियमित बोर्ड समीक्षा, पारदर्शी रिपोर्टिंग व्यवस्था और नैतिक ढांचा मौजूद है, वे निवेशकों का भरोसा जीतने में अधिक सफल साबित हुए हैं। निवेशकों को आकर्षित करने वाले अन्य प्रमुख पैमाने पारदर्शिता, सामाजिक प्रभाव और संस्थापकों की विश्वसनीयता पाए गए।

रिपोर्ट में विश्वविद्यालयों की भूमिका पर भी जोर दिया गया है। लगभग 50 प्रतिशत छात्रों ने माना कि उनके विश्वविद्यालयों ने उद्यम कौशल विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जबकि 89 प्रतिशत ने सुझाव दिया कि पाठ्यक्रम में नैतिकता और वित्तीय जवाबदेही से जुड़े विषय शामिल किए जाने चाहिए।

हालांकि, केवल 9.6 प्रतिशत छात्रों ने मौजूदा ‘इनक्यूबेशन प्रोग्राम्स’ को अत्यधिक प्रभावी बताया। इससे यह संकेत मिला कि शिक्षा संस्थानों और उद्योग जगत के बीच अधिक सहयोग की आवश्यकता है ताकि छात्रों को व्यावहारिक मार्गदर्शन और प्रशिक्षण मिल सके।

‘लीडरशिप समिट’ की अध्यक्षता करते हुए जॉली मसीह ने कहा, “इस साल की रिपोर्ट यह दर्शाती है कि नई पीढ़ी के उद्यमी अब केवल तेजी से विस्तार के बजाय जिम्मेदार और टिकाऊ व्यवसाय निर्माण पर जोर दे रहे हैं। यूनिकॉर्न की अगली लहर केवल नवाचार से नहीं, बल्कि ईमानदारी, शासन और वित्तीय अनुशासन से प्रेरित होगी।” उन्होंने कहा कि शिक्षकों और प्रशिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे छात्रों में महत्वाकांक्षा के साथ जवाबदेही की भावना भी विकसित करें।

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