मुंबई, 14 अक्टूबर (भाषा): महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले विपक्षी दलों ने मंगलवार को चुनाव प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं को लेकर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एस. चोकलिंगम से मुलाकात की। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार), शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), कांग्रेस, मनसे, वामपंथी दलों और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने मतदाता सूची में विसंगतियों और पारदर्शिता की कमी का मुद्दा उठाया।
इस प्रतिनिधिमंडल में शरद पवार, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे जैसे वरिष्ठ नेता शामिल थे। खास बात यह रही कि लंबे समय बाद उद्धव और राज ठाकरे एक साथ नजर आए, जिससे राजनीतिक हलकों में उनके संभावित गठबंधन की अटकलें भी तेज हो गई हैं।
विपक्षी नेताओं ने मतदाता सूची में दोहरी प्रविष्टियों और फर्जी नामों का आरोप लगाया। राकांपा नेता जयंत पाटिल ने दावा किया कि एक ही घर में 170 मतदाताओं के नाम दर्ज हैं, जो गंभीर गड़बड़ी को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “अगर इस सूची को फ्रीज कर दिया गया और चुनाव कराए गए, तो निष्पक्षता पर सवाल उठेंगे।”
प्रतिनिधिमंडल ने राज्य चुनाव आयोग से वीवीपीएटी के अनिवार्य उपयोग की भी मांग की। कांग्रेस नेता वर्षा गायकवाड़ और शिवसेना (उबाठा) के अंबादास दानवे ने राज्य चुनाव आयुक्त दिनेश वाघमारे से भी इसी मुद्दे पर मुलाकात की।
शिवसेना (उबाठा) के संजय राउत ने कहा कि निर्वाचन आयोग को और वक्त चाहिए, इसलिए विपक्षी नेताओं की संयुक्त प्रेस वार्ता स्थगित की गई है। उन्होंने भाजपा की अनुपस्थिति पर भी सवाल उठाया, “भाजपा अन्य राज्यों में चुनाव पारदर्शिता की मांग करती है, तो यहां क्यों नहीं?”
वहीं, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा, “यह महा विकास अघाड़ी नहीं, ‘महा कन्फ्यूज्ड अघाड़ी’ है।” उन्होंने उद्धव ठाकरे पर भी तंज कसते हुए कहा कि वे अब मंत्रालय आ तो रहे हैं, लेकिन काम के लिए नहीं, शिकायतें करने के लिए।
