मखाना खेती को बढ़ावा: उत्तर प्रदेश सरकार की 158 लाख की कार्ययोजना को मंजूरी

मखाना खेती को गति देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की बड़ी पहल- तालाब निर्माण से लेकर प्रशिक्षण तक की तैयारी, 158 लाख की कार्ययोजना को मिली मंजूरी,पूर्वांचल के किसान होंगे विशेष रूप से लाभान्वित

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मखाना उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। कृषि एवं उद्यान क्षेत्र में किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से मखाना विकास योजना का शुभारंभ किया गया है। सोमवार को 19, गौतमपल्ली स्थित आवास पर आयोजित प्रेसवार्ता में प्रदेश के उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार एवं कृषि निर्यात राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह ने योजना की औपचारिक घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह योजना किसानों को उच्च मूल्य वाली फसलों से जोड़ते हुए राज्य को उत्तम प्रदेश बनाने दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

सिंह ने बताया कि वर्ष 2025 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय मखाना बोर्ड के गठन के बाद प्रथम चरण में 10 राज्यों को इस योजना में शामिल किया गया है, जिनमें उत्तर प्रदेश भी प्रमुख है। उद्यान विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए तैयार की गई कार्ययोजना को केंद्र सरकार से मंजूरी मिल चुकी है। सीमित समय के बावजूद 158 लाख रुपये की धनराशि जारी की गई है, जिसके माध्यम से राज्य में मखाना खेती के विस्तार की शुरुआत होगी।

इन कार्यों पर खर्च होगी धनराशि
इस स्वीकृत निधि से तालाबों का चयन एवं निर्माण, किसानों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम, अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन, बायर–सेलर मीट, ‘मखाना पवेलियन’ के माध्यम से प्रचार-प्रसार, निर्यातकों की अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भागीदारी तथा राज्य व जनपद स्तरीय सेमिनार आयोजित किए जाएंगे। साथ ही सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर मखाना की स्थापना की दिशा में भी कार्य शुरू किया जाएगा।

मंत्री ने बताया कि मखाना उच्च बाजार मूल्य और औषधीय गुणों के कारण ‘सुपरफूड’ के रूप में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। अब तक इसकी खेती मुख्यतः बिहार में होती थी, लेकिन यूपी के जलभराव वाले क्षेत्र—विशेषकर पूर्वांचल—मखाना उत्पादन के लिए अत्यंत अनुकूल हैं। कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, बलिया, महाराजगंज, वाराणसी और बस्ती जैसे जनपद मखाना खेती के लिए विशेष रूप से उपयुक्त माने जाते हैं। जहाँ सिंघाड़े की खेती होती है, वहाँ मखाना उत्पादन भी सफल रहेगा।

उन्होंने बताया कि अगले वित्तीय वर्ष से मखाना उत्पादन क्षेत्र का विस्तार, उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री का उत्पादन तथा प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन की गतिविधियों को व्यापक स्तर पर प्रारंभ किया जाएगा।

आलू निकासी पर भी दिया बयान
प्रेसवार्ता के दौरान दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि उद्यान विभाग पूरी पारदर्शिता के साथ कार्य कर रहा है। इस वर्ष आलू की निकासी दर 99.35% रही, जो पिछले वर्ष की 99.31% से अधिक है। 15 दिसंबर तक शत-प्रतिशत निकासी पूरी होने की उम्मीद है। उन्होंने विपक्ष पर तथ्यहीन भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में आलू से संबंधित किसी प्रकार की समस्या नहीं है। विभाग शीघ्र ही प्रत्येक जनपद की निकासी का विस्तृत विवरण सार्वजनिक करेगा, जिससे किसानों की उपज की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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