भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आज एक बड़ा राजनयिक कदम देखने को मिला। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने शुक्रवार को घोषणा की कि भारत ने काबुल में अपने तकनीकी मिशन को पूर्ण दूतावास में परिवर्तित करने का निर्णय लिया है। यह फैसला अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से मुलाकात के बाद लिया गया, जो दोनों देशों के बीच संबंधों में नई शुरुआत का संकेत है।विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत हमेशा से अफगान जनता के साथ खड़ा रहा है और मानवीय सहायता के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य और अवसंरचना के क्षेत्र में सहयोग जारी रखेगा। मंत्रालय के अनुसार, दूतावास में सीमित संख्या में राजनयिकों को नियुक्त किया जाएगा, जो मानवीय परियोजनाओं और नागरिक सेवाओं पर ध्यान देंगे।काबुल में भारत का दूतावास अगस्त 2021 में तालिबान के कब्जे के बाद बंद कर दिया गया था। इसके बाद भारत ने जून 2022 में एक “तकनीकी मिशन” के रूप में सीमित उपस्थिति बनाए रखी थी, जो मुख्य रूप से सहायता और मानवीय कार्यों की देखरेख कर रहा था। अब इस मिशन को पूर्ण दूतावास में बदलने से दोनों देशों के बीच राजनयिक संवाद को औपचारिक रूप मिलेगा।विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि “भारत की नीति अफगानिस्तान में स्थिरता, शांति और विकास को समर्थन देना है। हम चाहते हैं कि अफगान समाज शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आगे बढ़े।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम अफगानिस्तान की जनता के हित में है, न कि किसी राजनीतिक मान्यता का संकेत। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह कदम दक्षिण एशिया में उसकी रणनीतिक भूमिका को और मजबूत करेगा। साथ ही यह तालिबान सरकार के साथ संवाद की नई संभावनाएँ खोलेगा, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग को बल मिलेगा।
