मुंबई, 18 अक्टूबर : महाराष्ट्र कांग्रेस ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि पार्टी का ‘हिंदुत्व’ अब ‘कॉर्पोरेट और लाभ-केंद्रित’ हो गया है। कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने दावा किया कि भाजपा देवी-देवताओं और राष्ट्रीय प्रतीकों के नामों का व्यावसायीकरण कर रही है, और इससे न केवल संस्कृति का अपमान हो रहा है बल्कि आस्था और स्वाभिमान की भी बिक्री की जा रही है।
मुंबई में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सावंत ने कहा कि मुंबई मेट्रो के कई स्टेशनों के नाम कॉर्पोरेट ब्रांड्स के साथ जोड़ दिए गए हैं, जो दर्शाता है कि भाजपा अब धार्मिक और ऐतिहासिक प्रतीकों का इस्तेमाल सिर्फ कारोबार बढ़ाने के लिए कर रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि मेट्रो स्टेशनों के नाम जैसे — कोटक छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड सिद्धिविनायक, एचडीएफसी लाइफ महालक्ष्मी, और निप्पॉन इंडिया एमएफ आचार्य अत्रे — इस बात के प्रमाण हैं।
सचिन सावंत ने सत्तारूढ़ भाजपा, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार से सवाल किया कि क्या वे छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे महानायक के नाम के आगे कॉर्पोरेट ब्रांड जोड़ने को उचित ठहराते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा बार-बार हिंदुत्व और सांस्कृतिक गौरव की बात करती है, लेकिन जब आर्थिक लाभ की बात आती है तो वही प्रतीक और नाम बिक्री की वस्तु बन जाते हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा जानबूझकर नाम बदलने की राजनीति के जरिए महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की समस्याओं जैसे असल मुद्दों से जनता का ध्यान भटका रही है। सावंत ने कहा, “भाजपा ने नेहरू और संजय गांधी जैसे नेताओं के नाम सार्वजनिक संस्थानों से हटाए, लेकिन कॉर्पोरेट स्पॉन्सरशिप के लिए अन्य ऐतिहासिक और धार्मिक नामों को बेचने से परहेज नहीं किया।”
कांग्रेस प्रवक्ता ने चेतावनी दी कि आने वाले समय में सरकार मेट्रो-3 या ‘एक्वा लाइन’ के कालबादेवी और शीतलादेवी स्टेशनों के लिए भी प्रायोजकों की तलाश कर सकती है, जिससे आस्था और विरासत स्थलों की भी बोली लगाई जा सकेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि हवाई अड्डों और बंदरगाहों के बाद अब धार्मिक स्थलों को भी निजी हाथों में सौंपा जा रहा है।
सावंत ने भाजपा पर तीखा प्रहार करते हुए कहा, “भाजपा का तथाकथित हिंदुत्व वहीं खत्म हो जाता है, जहां कॉर्पोरेट हित शुरू होते हैं। यह विकास नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, आस्था और स्वाभिमान की खुली बिक्री है।”
उन्होंने अंत में कहा कि महाराष्ट्र की जनता न तो अपने प्रतीकों का अपमान बर्दाश्त करेगी और न ही पवित्र नामों को कॉर्पोरेट सौदों में शामिल किए जाने को स्वीकार करेगी। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा है और चेताया है कि जनता सब देख रही है।
