पटना, 26 नवंबर — बिहार में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) एक बार फिर अपने अस्तित्व संबंधी संकट का सामना कर रही है। हालिया विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली एक सीट पर भी विवाद और राजनीतिक खींचतान देखने को मिल रही है।
कैमूर जिले की रामगढ़ सीट से बसपा के सतीश कुमार सिंह यादव ने मात्र 30 वोट के अंतर से भाजपा उम्मीदवार अशोक कुमार सिंह को हराया था।
बसपा ने बुधवार को पटना स्थित महाराजा कॉम्प्लेक्स में आयोजित राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक में आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष उनके एकमात्र विधायक को तोड़ने की कोशिश कर रहा है और उन्हें कई तरह के प्रलोभन दिए जा रहे हैं।
बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद ने संगठन की मजबूती और विधायकों की निष्ठा पर जोर दिया और कहा कि पार्टी दल बदल के किसी भी प्रयास का डटकर मुकाबला करेगी।
बैठक में मौजूद बिहार प्रभारी अनिल कुमार ने कहा, “सत्ता पक्ष लगातार संपर्क साध रहा है और सतीश यादव को अपने पक्ष में करने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन बसपा विधायक किसी भी दबाव या लालच में नहीं आने वाले।”
बसपा के लिए यह आरोप इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि बिहार में उनके विधायकों के दलबदल का इतिहास रहा है। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में कैमूर जिले की चैनपुर सीट से बसपा के मोहम्मद जमा खान ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2021 में उन्होंने बसपा छोड़कर जदयू का दामन थाम लिया। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें कैबिनेट में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बनाया।
इस बार जमा खान जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के टिकट पर चैनपुर से जीतकर फिर से नीतीश सरकार में मंत्री बने हैं। वह राजग सरकार में एकमात्र मुस्लिम मंत्री हैं।
बसपा को आशंका है कि 2025 में जीत हासिल करने वाले उनके एकमात्र विधायक सतीश यादव भी सत्ता पक्ष की रणनीति का निशाना बन सकते हैं।
समीक्षा बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई और पार्टी नेतृत्व ने संकेत दिया कि संगठन किसी भी प्रकार की टूट या दलबदल की आशंका को रोकने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
