
पटना। बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव का राजनीतिक तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। 243 सीटों पर दो चरणों—6 और 11 नवंबर—में हुए मतदान में इस बार मतदाताओं ने उत्साह दिखाते हुए रिकॉर्ड वोटिंग की। चुनाव आयोग के अनुसार इस बार का मतदान पिछले सभी चुनावों को पीछे छोड़ते हुए सबसे अधिक रहा, जिससे चुनावी मुकाबला और दिलचस्प हो गया है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उच्च मतदान प्रतिशत कई सीटों पर समीकरण बदल सकता है। जहां एनडीए को अपने पारंपरिक वोट बैंक पर भरोसा है, वहीं महागठबंधन उम्मीद कर रहा है कि बेरोजगारी, किसानों की समस्याओं और महंगाई जैसे मुद्दे मतदाताओं को उनके पक्ष में ले गए हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान दोनों गठबंधनों ने एक-दूसरे पर जमकर राजनीतिक हमले बोले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बड़ी रैलियाँ कर विकास, कानून व्यवस्था और सामाजिक योजनाओं को अपनी उपलब्धियाँ बताया। दूसरी ओर, महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव ने युवाओं, नौकरी और भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बनाते हुए एनडीए सरकार पर तीखे सवाल उठाए।
मतगणना से ठीक पहले दोनों गठबंधनों के दफ्तरों में हलचल बढ़ गई है। एनडीए नेताओं को विश्वास है कि उन्हें स्पष्ट जनादेश मिलेगा, जबकि महागठबंधन का दावा है कि इस बार बदलाव निश्चित है और जनता आर्थिक व सामाजिक मुद्दों को ध्यान में रखकर मतदान कर चुकी है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि अंतिम परिणाम न केवल बिहार की सत्ता तय करेंगे, बल्कि 2026 के बड़े राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित करेंगे। यही वजह है कि पूरे देश की नजर इस चुनाव पर टिकी हुई है।