बसपा में बड़ा फेरबदल: सरवर मलिक बने लखनऊ मंडल प्रभारी, मुनकाद अली को मिली दोहरी जिम्मेदारी,बामसेफ की बैठक भी बुलाईं

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में एक बार फिर संगठनात्मक फेरबदल हुआ है। पार्टी सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ और कानपुर मंडल की जिम्मेदारी में बदलाव करते हुए सरवर मलिक को लखनऊ मंडल का नया मुख्य प्रभारी नियुक्त किया है। वहीं, मुनकाद अली को लखनऊ और कानपुर मंडल की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

यह बदलाव ऐसे समय हुआ है जब पार्टी ने अपने पुराने संगठनात्मक ढांचे को फिर से सक्रिय करने की दिशा में तेजी दिखाई है। पूर्व प्रभारी शमसुद्दीन राईन को बर्खास्त किए जाने के बाद यह कदम पार्टी की रणनीतिक तैयारी का हिस्सा माना जा रहा है।

सरवर मलिक का अनुभव और भूमिका

नए प्रभारी सरवर मलिक लखनऊ के वरिष्ठ बसपा नेता हैं। वे पूर्व जिलाध्यक्ष रह चुके हैं और लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी के रूप में भी मैदान में उतर चुके हैं। संगठन में उनकी गहरी पकड़ और अनुभवी नेतृत्व को देखते हुए उन्हें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है।

मायावती ने बुलाई बामसेफ की बैठक

बसपा सुप्रीमो ने आगामी 1 नवंबर को बामसेफ (All India Backward and Minority Employees Federation) की बैठक बुलाई है। इस बैठक में पिछड़े वर्गों की भागीदारी बढ़ाने और संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने पर चर्चा होगी। बताया जा रहा है कि मायावती इस बैठक में बामसेफ के पुनर्गठन पर अंतिम निर्णय लेंगी।

मिशन 2027 की तैयारी तेज

बसपा ने आगामी मिशन 2027 को ध्यान में रखते हुए बामसेफ के पुनर्जीवन की दिशा में कदम बढ़ाया है। पार्टी मानती है कि बामसेफ की सक्रियता से संगठन को नई ऊर्जा मिलेगी। यह वही संगठन है जिसने बसपा के शुरुआती दौर में जनाधार विस्तार में अहम भूमिका निभाई थी।

राईन बोले – मायावती मेरी राजनीतिक गुरु

वहीं, पार्टी से निष्कासित शमसुद्दीन राईन ने अपने बयान में कहा, “मायावती मेरी राजनीतिक गुरु हैं, उनका हर निर्णय मेरे लिए सर्वोपरि है। मैंने पार्टी की जिम्मेदारियां पूरी निष्ठा से निभाई हैं और आगे भी बसपा मिशन के साथ जुड़ा रहूंगा।” उन्होंने गुटबाजी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य केवल मायावती को पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनाना है।

संगठन में पश्चिम यूपी में भी बदलाव

बसपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी संगठनात्मक फेरबदल किए हैं। पार्टी का लक्ष्य है कि आगामी चुनाव से पहले हर स्तर पर समन्वित और सक्रिय संगठन तैयार हो सके।

 

संकेत साफ हैं — बसपा फिर एक बार अपने पुराने ढांचे को जीवित कर “मिशन 2027” की दिशा में नई ऊर्जा के साथ उतरने की तैयारी में है।

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