लखनऊ। बंगाल की खाड़ी में बन रहे चक्रवात ‘मोंथा’ का असर अब उत्तर प्रदेश तक पहुंचने वाला है। मौसम विभाग के अनुसार, सोमवार से प्रदेश में मौसम का मिजाज बदलने लगेगा। बुंदेलखंड और पश्चिमी यूपी के कई जिलों में आज हल्की बारिश की संभावना जताई गई है, जबकि 29 से 31 अक्तूबर के बीच पूर्वांचल के जिलों में गरज-चमक के साथ बारिश होने के आसार हैं।
आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी—दोनों ओर से सक्रिय मौसम तंत्रों के चलते नमी बढ़ रही है। अरब सागर पर बने लो प्रेशर एरिया से लेकर पश्चिमी मध्य प्रदेश तक फैली द्रोणी के कारण बुंदेलखंड में सोमवार को हल्की बारिश हो सकती है। इसके बाद बंगाल की खाड़ी के गहन अवदाब के चक्रवात में बदलने से पूर्वी यूपी के इलाकों में बारिश का सिलसिला तेज हो सकता है।
लखनऊ में भी दिखेगा असर
राजधानी लखनऊ में सोमवार से ही बादलों की सक्रियता बढ़ेगी। मौसम विभाग ने पूर्वानुमान जताया है कि सोमवार और मंगलवार को धूप-छांव का मौसम रहेगा और दिन का तापमान 2 से 4 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। वहीं, बादलों के कारण रात का तापमान मामूली बढ़ सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि रात में बादलों के छाए रहने से गर्मी बाहर नहीं निकल पाती, जिससे हल्की गर्माहट बनी रहती है।
प्रदेश में दोहरी मार — बादल और ठंडी हवाएं
मौसम विभाग का कहना है कि अगले चार से पांच दिनों तक यूपी में बादलों की आवाजाही जारी रहेगी। इस दौरान पश्चिमी और पूर्वी यूपी में अलग-अलग जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। बारिश के बाद मौसम में ठंडक बढ़ेगी और दिन के तापमान में 3 से 4 डिग्री की गिरावट दर्ज की जा सकती है।
चक्रवात ‘मोंथा’ का तटीय राज्यों पर असर
बंगाल की खाड़ी में बन रहा चक्रवात ‘मोंथा’ 28 अक्तूबर की शाम को काकीनाडा के पास मछिलीपट्टनम और कालिंगपट्टनम के बीच आंध्र प्रदेश तट को पार कर सकता है। इस दौरान हवाओं की रफ्तार 100 से 110 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंचने की संभावना है। मौसम विभाग ने आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तमिलनाडु में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।
राज्य सरकारों ने अलर्ट जारी कर राहत और बचाव की तैयारियां पूरी कर ली हैं। आंध्र प्रदेश में खाद्यान्न, ईंधन और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति पहले ही पूरी कर ली गई है।
सिहरन भरे मौसम की दस्तक
लखनऊ और आसपास के इलाकों में सोमवार से ठंडी हवाओं के साथ मौसम में बदलाव महसूस होगा। उमस से राहत मिलेगी और हवा में हल्की सिहरन बढ़ेगी। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि चक्रवात का अप्रत्यक्ष असर नवंबर की शुरुआत तक बना रह सकता है।
