लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए अब बड़ी कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर बुनियादी शिक्षा विभाग ने इस संबंध में एक कमेटी गठित की है, जो शिक्षकों की उपस्थिति व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए उपाय सुझाएगी। माना जा रहा है कि यह कदम आगामी डिजिटल अटेंडेंस प्रणाली लागू करने की दिशा में पहला कदम है।
सूत्रों के अनुसार, यह कमेटी विद्यालयों में समयबद्ध उपस्थिति, छुट्टियों के रिकॉर्ड और कार्य दिवसों की निगरानी के लिए नई व्यवस्था पर रिपोर्ट तैयार करेगी। विभाग स्तर पर डिजिटल अटेंडेंस ऐप या बायोमीट्रिक प्रणाली लागू करने पर भी विचार किया जा रहा है ताकि शिक्षकों की उपस्थिति रियल टाइम में मॉनिटर की जा सके।
शिक्षकों ने रखी अपनी मांगें
शिक्षक संगठनों ने इस पहल का स्वागत तो किया है, लेकिन साथ ही कुछ सुविधाओं की मांग भी रखी है। उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि, “शिक्षक डिजिटल अटेंडेंस का विरोध नहीं करते, लेकिन सरकार को पहले ईएल (अर्जित अवकाश), सीएल (सामान्य अवकाश), हाफ डे और चिकित्सा अवकाश की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। कई बार शिक्षक मजबूरीवश स्कूल देर से पहुंचते हैं, ऐसे में उन्हें अनुशासनहीन न माना जाए बल्कि छुट्टी का विकल्प दिया जाए।”
उन्होंने यह भी कहा कि डिजिटल उपस्थिति लागू होने से पारदर्शिता बढ़ेगी, परंतु इसके लिए नेटवर्क, बिजली और तकनीकी संसाधन ग्रामीण स्कूलों में उपलब्ध कराना आवश्यक है।
टीईटी अनिवार्यता के विरोध में देशव्यापी आंदोलन की तैयारी
इसी बीच, अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने केंद्र सरकार द्वारा शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्यता के खिलाफ आंदोलन तेज कर दिया है। संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने घोषणा की है कि 11 दिसंबर को दिल्ली के जंतर मंतर पर देशभर के शिक्षक धरना देंगे।
उन्होंने बताया कि संगठन के पदाधिकारी व्यापक जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं। “अगर 11 दिसंबर तक केंद्र सरकार ने इस पर ठोस कदम नहीं उठाया, तो फरवरी 2026 में रामलीला मैदान से संसद तक रैली निकाली जाएगी,”
