लखनऊ में आयोजित माटीकला महोत्सव 2025 ने पारंपरिक कला और आधुनिक तकनीक को एक साथ जोड़ने की दिशा में नई मिसाल पेश की है। इस महोत्सव का उद्देश्य उत्तर प्रदेश की मिट्टी कला, लोककला और कारीगरों को आधुनिक डिजिटल युग से जोड़ना है, ताकि उनके हुनर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल सके।
कार्यक्रम के दौरान राज्य सरकार ने “माटीकला पोर्टल” और मोबाइल ऐप का शुभारंभ किया, जो कारीगरों और उपभोक्ताओं के बीच सीधा संपर्क स्थापित करेगा। इस डिजिटल मंच के माध्यम से कारीगर अब अपने उत्पादों को ऑनलाइन प्रदर्शित और बेच सकेंगे। इससे ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में रहने वाले कलाकारों को भी व्यापक बाजार तक पहुँच मिलेगी।
महोत्सव में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए कारीगरों ने अपने हस्तनिर्मित बर्तन, मूर्तियाँ, खिलौने और सजावटी वस्तुएँ प्रदर्शित कीं। आयोजन में लोकनृत्य, संगीत और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की प्रस्तुतियाँ भी हुईं, जिसने दर्शकों को आकर्षित किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार का उद्देश्य पारंपरिक कला को केवल जीवित रखना नहीं, बल्कि उसे आर्थिक आत्मनिर्भरता का साधन बनाना है। एक जिला, एक उत्पाद (ODOP) जैसी योजनाएँ पहले से ही इन कारीगरों को नया जीवन दे रही हैं। माटीकला महोत्सव इसी कड़ी में एक अहम कदम साबित हुआ है।
