चंडीगढ़। पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। राज्य सरकार और प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद खेतों में आग लगाने के मामले रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। बुधवार को प्रदेश में 283 नए मामले दर्ज किए गए, जो इस सीजन का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। यह संख्या पिछले साल 2024 के इसी दिन दर्ज हुए 219 मामलों से भी अधिक है।
सबसे चिंताजनक स्थिति मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले संगरूर की है, जहां बुधवार को 79 नए मामले दर्ज किए गए। इससे जिले में अब तक कुल 170 मामले सामने आ चुके हैं। संगरूर पराली जलाने के मामलों में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है।
तरनतारन इस समय पराली जलाने में सबसे आगे है, जहां 296 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके बाद अमृतसर (173 मामले) और संगरूर (170 मामले) का नंबर आता है। वहीं, फिरोजपुर में 123, पटियाला में 73, जालंधर में 26, और लुधियाना में 17 मामले दर्ज किए गए हैं।
पराली जलाने का असर अब राज्य की आबो-हवा पर साफ दिखने लगा है। सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) के आंकड़ों के मुताबिक, बुधवार को जालंधर और खन्ना का एक्यूआई (AQI) 236 दर्ज किया गया, जो ‘खराब श्रेणी’ में आता है। वहीं पटियाला का एक्यूआई 179, मंडी गोबिंदगढ़ का 196, लुधियाना का 133 और रूपनगर का 121 दर्ज किया गया।
वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर से लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि यदि पराली जलाने का सिलसिला नहीं रुका तो नवंबर में हालात और बिगड़ सकते हैं।
प्रशासन ने कार्रवाई तेज करते हुए अब तक 443 मामलों में 22 लाख 60 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है, जिसमें से 14 लाख 80 हजार रुपये की वसूली की जा चुकी है। इसके अलावा 331 एफआईआर दर्ज की गई हैं और 405 रेड एंट्रियां की गई हैं।
सरकार लगातार किसानों से अपील कर रही है कि वे पराली न जलाएं, लेकिन आंकड़े दिखा रहे हैं कि पंजाब की हवा दिन-ब-दिन और जहरीली होती जा रही है।
